14 सितंबर को छात्रसंघ चुनाव,विभाग-कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर बनेगी परिषद

14 सितंबर को छात्रसंघ चुनाव,विभाग-कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर बनेगी परिषद

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-02 08:11 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश में कई पिछले कई वर्षों से बंद पड़े खुले छात्रसंघ चुनाव फिर शुरू हो गए हैं। प्रदेश के सभी गैर कृषि विश्वविद्यालयों ने अपने-अपने चुनावी कार्यक्रम तय कर लिए हैं। चुनाव दो हिस्सों में होंगे। पहले हिस्से में विभाग-कॉलेज स्तर पर विद्यार्थी परिषद का गठन होगा। दूसरे हिस्से में विश्वविद्यालय विद्यार्थी परिषद का गठन होगा। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के चुनावी कार्यक्रम के अनुसार विभाग-कॉलेज स्तर की परिषद के लिए 14 सितंबर को छात्रसंघ के लिए मतदान होगा। चुनावी कार्यक्रम के अनुसार यूनिवर्सिटी  6 सितंबर को वोटर लिस्ट जारी करेगा। इस में त्रुटियां दर्ज करने के बाद 7 सितंबर को शाम 6 बजे अंतिम वोटर लिस्ट जारी होगी।  9 सितंबर को अध्यक्ष, सचिव, महिला प्रतिनिधि, आरक्षित वर्ग प्रतिनिधि और क्लास प्रतिनिधि के लिए नामांकन स्वीकारे जाएंगे। 11 सितंबर तक नामांकन वापस लेने की अनुमति होगी। 14 सितंबर को कॉलेजों और विवि के विभागों में मतदान होगा। 14 सितंबर को शाम 6 बजे तक नतीजे जारी किए जाएंगे। यहां चुने गए विद्यार्थियों मंे से ही विश्वविद्यालय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधि चुने जाएंगे। 

विश्वविद्यालय विद्यार्थी परिषद

15 सितंबर को विश्वविद्यालय विद्यार्थी संघ का गठन होगा। 16 सितंबर को अध्यक्ष, सचिव, महिला प्रतिनिधि, आरक्षित वर्ग प्रतिनिधि और क्लास प्रतिनिधि पद के लिए नामांकन दर्ज होंगे। 21 सितंबर तक नामांकन वापस लिया जा सकेगा। 26 सितंबर को मतदान के बाद 29 सितंबर को चुनावी नतीजे जारी होंगे। इसी दिन एनएसएस, एनसीसी और सांस्कृतिक श्रेणी से नामांकन होंगे। 30 सितंबर को छात्रसंघ तय होगा। कॉलेज-विभाग स्तर पर 3 अक्टूबर और विवि स्तर पर 5 अक्टूबर को छात्रसंघ की पहली बैठक होगी।

कॉलेजों को खुद खर्च उठाना होगा

इस बार कॉलेज स्तर पर चुनाव होने वाले हैं, जिसमें विद्यार्थियों को कुल पांच प्रतिनिधियों को चुनना है। बैलट पेपर भी अलग-अलग रंग के होंगे। ऐसे में बैलेट पेपर, चुनाव के बाद उसे एक साल तक सुरक्षित रखने जैसे खर्च को लेकर सरकारी स्तर पर कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं। कॉलेजों को यह खर्च खुद उठाना है। विवि ने जब राज्य सरकार से इस पर मार्गदर्शन मांगा, तो साफ बताया गया कि, कॉलेजों को अपने स्तर पर चुनावी खर्च उठाना होगा। उन्हें कोई अनुदान या आर्थिक मदद नहीं मिलेगी। 
 

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