जांच पर राज्य सूचना आयोग ने नगर निगम की कमिश्नर से मांगा हलफनामा

3 वर्ष पहले घनश्याम सेवा समिति की दीनदयाल रसोई में पकड़ा गया था खाद्यान्न घोटाला    जांच पर राज्य सूचना आयोग ने नगर निगम की कमिश्नर से मांगा हलफनामा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-07 09:05 GMT
 जांच पर राज्य सूचना आयोग ने नगर निगम की कमिश्नर से मांगा हलफनामा

डिजिटल डेस्क सतना। गरीबों का राशन बाजार में बेच खाने की जांच के एक बहुचर्चित मामले में राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने निगमायुक्त तन्वी हुड्डा से आरोपों की जांच और जांच रिपोर्ट से संबंधित ब्यौरा शपथ पत्र पर देने को कहा है। प्रकरण की  सुनवाई के बाद सोमवार को आयोग ने इस आशय के आदेश दिए।  न्यायिक शक्तियों का उपयोग करते हुए आयोग ने निगम के लोक सूचना अधिकारी और सहायक आयुक्त एसडी पांडेय और दीनदयाल रसोई के परियोजना अधिकारी धर्मेन्द्र शर्मा के विरुद्ध भी जांच संस्थित की है। आयोग ने  माना है कि इन दोनों लोक सेवकों ने आयोग को न केवल निरंतर भ्रमित करते हुए अपील प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई , अपितु इनका यह कृत्य सिविल सेवा आचरण के भी पदीय दायित्वों के भी विरुद्ध है। 
क्या है पूरा मामला :-- 
दीनदयाल रसोई के संचालन के लिए यहां नगर निगम ने घनश्याम सेवा समिति को 25 मार्च 2017 में स्वीकृति प्रदान की थी। अप्रैल 2017 में घनश्याम की रसोई शुरु हुई। गरीबों को राशन बाजार में बेच खाने की शिकायतों के चलते 12अक्टूबर 2018 को तबके निगमायुक्त प्रवीण अढ़ायच के निर्देश पर तत्कालीन उपायुक्त महेश कोरी से छापामार कर मौके पर 61 क्विंटल अनाज (गेहंू और चावल) की गड़बड़ी पकड़ी गई थी। तत्तकालीन निगायुक्त ने इस मामले में घनश्याम सेवा समिति को ब्लैक लिस्टेड करने और रिकवरी कराते हुए अपराध दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। जानकारों के मुताबिक जांच हुई और जांच रिपोर्ट भी तैयार की गई लेकिन जब 4 जनवरी 2018 को सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई एक्टिविस्ट उदयभान चतुर्वेदी ने जांच रिपोर्ट मांगी तो लोक सूचना अधिकारी की सांस फूल हो गई। 
आखिर,कहां गई जांच रिपोर्ट :---------
असल में आरटीआई एक्टिविस्ट उदयभान चतुर्वेदी ने निगम के लोक सूचना अधिकारी से दीनदयाल रसोई के लिए घनश्याम सेवा समिति को दिए गए वर्कआर्डर और समिति के साथ हुए एग्रीमेंट की प्रतियों के साथ  खाद्यान्न को बाजार में बेच खाने पर आधारित जांच रिपोर्ट मांगी थी। लोक सूचना अधिकारी ने कार्यादेश और अनुबंध की प्रतियां तो उपलब्ध करा दीं लेकिन जांच रिपोर्ट यह कह कर नहीं दी कि जांच से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। सवाल यह है कि जब जांच हुई तो जांच रिपोर्ट आखिर कहां गई? 
 और, फिर ऐसे हुआ खुलासा :--------
इस मसले पर निगम के प्रथम अपील अधिकारी (निगमायुक्त) से भी पहले जैसा जवाब मिलने पर अंतत: श्री चतुर्वेदी ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष प्रस्तुत होकर घनश्याम सेवा सहकारी समिति के खाद्यान्न घोटोले की जांच रिपोर्ट नहीं देने की शिकायत करते हुए रिपोर्ट मांगी। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले को गंभीरता से लिया और  निगम के लोक सूचना अधिकारी को आदेशित किया कि वे 31 अगस्त तक इस आशय का स्पष्टीकरण दें कि मामले की जांच हुई है या नहीं और अगर जांच हुई है तो जांच रिपोर्ट कोई नहीं उपलब्ध कराई गई? आरोप है कि   बावजूद इसके निर्धारित समय पर आयोग के समक्ष स्पष्टीकरण नहीं प्रस्तुत किया गया। राज्य सूचना आयोग ने 31 अगस्त को 24 घंटे के अंदर ब्यौरा प्रस्तुत करने का अंतिम मौका देते हुए एक सितंबर  की नई डेट दी लेकिन लोकसूचना अधिकारी और शाखा प्रभारी के बीच उलझ चुके इस मामले में अंतत: आयोग ने आरटीआई एक्ट के तहत निगमायुक्त से शपथ पत्र पर जानकारी तलब कर ली।  
23 सितंबर तक देना है प्रतिवेदन :-----------
आयोग ने  निगमायुक्त से जानना चाहा है कि वर्ष 2018 में घनश्याम सेवा  समिति के विरुद्ध जांच हुई थी या नहीं? अगर हुई थी तो जांच रिपोर्ट कहां है? आयोग ने सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 18 के तहत न्यायिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सहायक आयुक्त एसके पांडेय और योजना प्रभारी धर्मेन्द्र शर्मा के विरुद्ध भी जांच संस्थित करते हुए 23 सितंबर तक जांच प्रतिवेदन मांगा है।

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