BAMS छोड़ MBBS में प्रवेश लेने से नहीं रोक सकती सरकार : बांबे हाईकोर्ट

BAMS छोड़ MBBS में प्रवेश लेने से नहीं रोक सकती सरकार : बांबे हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-03 02:22 GMT
BAMS छोड़ MBBS में प्रवेश लेने से नहीं रोक सकती सरकार : बांबे हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेडिकल पाठ्यक्रम को लेकर राज्य सरकार के बनाए एक नियम को बांबे हाईकोर्ट ने मौलिक अधिकार का हनन बताया है। दरअसल, राज्य सरकार के नियम के अनुसार यदि कोई छात्र सरकारी कोटे की सीट पर मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के बाद सरकारी कोटे की सीट छोड़कर दूसरे एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में दाखिला लेना चाहता है, तो वह उसके लिए अपात्र होगा। 

छात्रा की याचिका मंजूर
अदालत ने कहा है कि यह नियम विद्यार्थी को उच्च शिक्षा के अवसर और जीवन में आगे बढ़ने के अधिकार से वंचित करता है। न्यायमूर्ति अनूप मोहता और न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने छात्रा मैथिली कदम की ओर से दायर याचिका को मंजूर करते हुए फैसला सुनाया। कदम ने 2016 में मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए ली जानी वाली सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) के आधार पर बीएएमएस पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था, लेकिन इसके बाद कदम ने सीबीएसई की ओर से एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में एडमिशन के लिए 2017 में आयोजित की नीट परीक्षा दी। इस परीक्षा में उसे अच्छे अंक मिले जिसके तहत वह एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए पात्र हो गई,लेकिन सरकार की ओर से दाखिले को लेकर जारी किए गए एक नियम के चलते उसे एडमिशन के लिए अपात्र माना। 

मानकों पर खरी उतरी याचिकाकर्ता
इस नियम के मुताबिक जिस विद्यार्थी ने पहले सरकारी कोटे की सीट से मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है, वह एडमिशन रद्द करके एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिला नहीं ले सकता है। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सरकारी वकील की दलील से असहमत खंडपीठ ने कहा कि नीट के नियमों के तहत याचिकाकर्ता एमबीबीएस के एडमिशन के लिए पात्र है। क्योंकि इसके नियम के मुताबिक कोई भी छात्र आरक्षित वर्ग को छोड़कर तीन बार नीट की परीक्षा दे सकता है, इसके लिए उसकी उम्र 25 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। याचिकाकर्ता इन दोनों मानकों पर खरी उतरती है।

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