ST बस कर्मचारियों ने दी जेल भरो आंदोलन की चेतावनी, 22 करोड़ प्रतिदिन तक पहुंचा घाटा
ST बस कर्मचारियों ने दी जेल भरो आंदोलन की चेतावनी, 22 करोड़ प्रतिदिन तक पहुंचा घाटा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एक तरफ राज्य परिवहन निगम (एसटी) के हड़ताली कर्मचारियों ने जेल भरो आंदोलन शुरु करने की चेतावनी दी है, तो दूसरी तरफ की हड़ताल ने एसटी की जड़ें हिला दी हैं। कर्मचारियों के हित और राज्य की जनता की सेवा के नाम पर एसटी रोजाना दो करोड़ रुपए के घाटे में चलाई जाती है, लेकिन हड़ताल के चलते यह घाटा बढ़कर 22 करोड़ रुपए रोजाना तक पहुंच गया है। निजी परिवहन कंपनियों से मिल रही चुनौती और कम आय के संकट से जूझ रही एसटी का हड़ताल के बाद दम फूलने लगा है।
राज्य की जनता के लिए वैसे एसटी भरोसे की सवारी है क्योंकि 90 फीसदी से ज्यादा जनता सरकारी परिवहन सेवा एसटी से सफर करती है। ग्रामीण इलाकों के विकास में शक्कर कारखानों से ज्यादा एसटी का योगदान माना जाता है। इसके अलावा लड़कियों की शिक्षा में भी एसटी का काफी योगदान है, लेकिन वेतन वृद्धि की मांग को लेकर एसटी की हड़ताल ने राज्य परिवहन निगम को वित्तीय संकट में फंसा दिया है। ग्रामीण इलाकों के लोग एसटी की बसों में सफर करते हैं। हड़ताल के चलते वे फिलहाल निजी वाहनों की सहारा ले रहे हैं। निजी वाहनों में सफर की आदत लग जाने के बाद उन्हें फिर एसटी की ओर खींचना भी एक चुनौती होगी।
मामले में हस्तक्षेप करेंगे CM
एसटी बसें लगातार तीसरे दिन भी सड़कों पर नहीं दौड़ी। राज्य सड़क परिवहन महामंडल (एसटी) कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। गुरुवार को प्रदेश के परिवहन मंत्री व एसटी महामंडल के अध्यक्ष दिवाकर रावते ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से वर्षा पर मुलाकात करके एसटी कर्मचारी संगठनों के साथ हुई बैठक का ब्यौरा दिया। संभावना जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री ही अब हड़ताल खत्म करने को लेकर हस्तक्षेप करेंगे। इसी बीच इंटक संगठन के महासचिव मुकेश तिगोटे ने आरोप लगाया कि एसटी प्रशासन आंदोलन को भड़काने का प्रयास कर रहा है। यदि जरूरत पड़ी तो एसटी के कर्मचारी जेल भरो आंदोलन करेंगे।
इस बीच शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि मंत्री रावते और एसटी कर्मचारी संगठनों के बीच हुई बैठक की जानकारी सार्वजनिक होना चाहिए। सावंत ने कहा कि मंत्री ने कर्मचारियों के हित में फैसला लिया था, लेकिन कुछ लोग गलत जानकारी दे करके हड़ताल को जारी रखना चाहते हैं। दूसरी तरफ धुलिया में एसटी कर्मचारियों ने अपना शर्ट निकाल करके अर्धनग्न आंदोलन किया। कोल्हापुर में कर्मचारियों ने मंत्री रावते का पोस्टर फाड़कर उनके खिलाफ नारेबाजी की। नाशिक बस डिपो के विश्रामगृह से निकाले जाने के विरोध में एसटी कर्मचारियों ने मिट्टी लगा कर स्नान किया।
वेतन बढ़ाने लायक नहीं है एसटी की आय
एसटी के खर्चों पर नजर डालें तो साफ होता है कि वेतन बढ़ाने की कर्मचारियों की मांग एसटी निगम के लिए घातक सिद्ध होगी। यूनियन का दावा है कि एसटी कर्मचारियों को दूसरे राज्य परिवहन के कर्मचारियों के मुकाबले कम वेतन मिलता है, लेकिन एसटी की आय पर नजर डालें तो वेतन बढ़ोत्तरी और सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग गलत लगती है। क्योंकि इसके बाद एसटी से होने वाली आय से ज्यादा वेतन पर ही खर्च हो जाएगा। ऐसे में बिजली बिल, कार्यालय, डेपो, ईंधन, रखरखाव, सामान के लिए खर्च होने वाले पैसे कहां से आएंगे। चार साल पहले कर्मचारियों के वेतन में 13 फीसदी बढ़ोत्तरी का समझौता किया गया था लेकिन अब 131 फीसदी बढ़ोत्तरी की मांग की जा रही है। ऐसे में कर्मचारियों को नियमित मिलने वाली पगार पर संकट खड़ा हो जाएगा साथ ही एसटी का हाल भी मुंबई के बेस्ट जैसा हो जाएगा।
विभिन्न राज्यों में चालकों और कंडक्टरों का वेतन
राज्य ड्राइवर कंडक्टर
महाराष्ट्र 9,000 से 15,367 4,350 से 14,225
तेलंगाना 13,070 से 34,490 12,340 से 32,800
कर्नाटक 12,400 से 17520 11,640 से 15,700
राजस्थान 5,200 से 20,200 5,200 से 20,200
उत्तर प्रदेश 5,200 से 20,200 5,200 से 20,200
दूसरे राज्यों के ड्राइवरों और कंडक्टरों को डेढ़ से दो हजार रुपए ग्रेड पे दिया जाता है। महाराष्ट्र कि सरकारी बस सेवा के ड्राइवरों और कंडक्टरों को ग्रेड पे नहीं दिया जाता। दूसरे राज्यों में यात्री कर पांच से सात फीसदी है जबकि महाराष्ट्र में यह 17.5 फीसदी है।
राज्य का परिवहन निगम
डेपो 250
विभागीय कार्यशाला 35
यात्रियों की संख्या (रोजाना) 58 लाख
रोजाना नुकसान दो करोड़
बसों की संख्या 18 हजार, रोजाना चलती हैं 17 हजार
कर्मचारी एक लाख चार हजार
सम्पर्क 36 हजार 364 गांव
दूरी रोजाना 60 लाख किलोमीटर
ईंधन रोजाना 12 हजार लीटर
2016-17 की आय 7 हजार 56 करोड़ 22 लाख
खर्च 7 हजार 583 करोड़ 76 लाख
घाटा (इस साल) 505 करोड़ 49 लाख
कुल नुकसान (अब तक) 2312 करोड़ 72 लाख
कर्मचारियों के वेतन पर खर्च वार्षिक 3200 करोड़