खुले में शौच को रोकने के लिए स्पोर्ट्स ग्राउंड, मॉर्निंग वॉक स्ट्रीट बनाने की तैयारी

खुले में शौच को रोकने के लिए स्पोर्ट्स ग्राउंड, मॉर्निंग वॉक स्ट्रीट बनाने की तैयारी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-22 15:22 GMT
खुले में शौच को रोकने के लिए स्पोर्ट्स ग्राउंड, मॉर्निंग वॉक स्ट्रीट बनाने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शहरी इलाकों में जिस जगह लोग खुले में शौच करते हैं ऐसे जगहों का सौंदर्यीकरण करके गार्डन, खेल मैदान, हाट बाजार, मॉर्निंग वॉक स्ट्रीट, धोबी घाट और जॉगिंग ट्रैक में तब्दील किया जा रहा है। खुले में शौच करने से लोगों को रोकने के लिए इस तरह का अनूठा प्रयोग किया जा रहा है। राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के अधिकारी ने जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि महानगर पालिका और नगर पालिका ऐसे जगहों का सौंदर्यीकरण कर रहे हैं। 

खुले में शौच से मुक्ति

अधिकारी ने कहा कि राज्य के शहरी इलाकों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है लेकिन हमारे सामने लोगों की आदत बदलने की सबसे बड़ी चुनौती है। कई जगहों पर पाया जाता है कि घर में शौचालय होने के बाद भी लोग खुले में शौच के लिए जाने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों रोकने के लिए गुड मॉर्निंग दस्ता और ओडी वॉच की टीम काम कर रही है। इसके साथ ही सरकार ने नगर निकायों को खुले में शौच करने वाले जगहों को चिन्हत करके उसका सौंदर्यीकरण करने को कहा है। 

दीवारों का रंग रोगन

औरंगाबाद के वैजापुर में जिस जगह पर लोग खुले में शौच करते थे, अब उसको हाट बाजार में बदल दिया गया है। वहां के बाजार में लोग खरीदादरी करने आते हैं। इसी तरह चंद्रपुर शहर में सार्वजनिक शौचालय की जरूरत खत्म होने के कारण उसको वाचनालाय के रूप में तब्दील कर दिया गया है। चंद्रपुर के भद्रावती में खुले में शौच के लिए जहां पर जाया जाता था, वहां पर अब गार्डन बना दिया गया है। भंडारा में तालाब किनारे पानी उपलब्ध होने के कारण लोग शौच करने जाते थे। इसको रोकने के लिए तालाब किनारे मरम्मत कार्य कर दीवारों का रंग रोगन किया गया है। 

सौंदर्यीकरण पर होता खर्च

प्रदेश सरकार की तरफ से स्वस्छ महाराष्ट्र अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्त शहरों के नगर निकायों को इंसेंटिव दिया जाता है। संबंधित नगर निकाय इंसेंटिव की राशि को सौंदर्यीकरण के काम के लिए खर्च कर सकती है। प्रदेश सरकार की तरफ से खुले में शौच मुक्त शहरों के लिए इंसेंटिव दिया जाता है। इसके अनुसार ए क्लास शहर को 2 करोड़, बी क्लास शहर को 1.50 करोड़ और सी क्लास शहर को 1 करोड़ रुपए की राशि दी जाती है। इसके लिए सरकार ने 28 मार्च 2016 और 2 मार्च 2017 को शासनादेश जारी किया है।

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