अंतर धार्मिक विवाह को लेकर गठित कमेटी के खिलाफ  सपा विधायक ने दायर की याचिका 

हाईकोर्ट अंतर धार्मिक विवाह को लेकर गठित कमेटी के खिलाफ  सपा विधायक ने दायर की याचिका 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-11 13:25 GMT
अंतर धार्मिक विवाह को लेकर गठित कमेटी के खिलाफ  सपा विधायक ने दायर की याचिका 

डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र सरकार द्वारा अंतर धार्मिक विवाह पर निगरानी रखने के लिए समन्वय कमेटी गठित करने के निर्णय को बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। भिवंडी से समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि यह धाराणा पूरी तरह से गलत है कि यदि कोई वयस्क महिला किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से विवाह करने का निर्णय लेती है तो उसे “बचाया” जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि यह धाराणा संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। 

याचिका में शेख ने दावा किया है कि समन्वय कमेटी के गठन को लेकर सरकार की ओर से जारी किया गया शासनादेश भेदभावपूर्ण व एक खास धर्म के खिलाफ है। यह शासनादेश संविधान के अनुच्छेद 14,15, 21 व 25 के खिलाफ है। याचिका में शेख ने कहा है कि इस विषय पर सरकार की ओर से जारी किया गया शासनादेश अंतर धर्मीय विवाह को हतोत्साहित करेगा है और यह ऐसे विवाह में बाधक बनेगा। इसके अलावा यह शासनादेश लव जिहाद को लेकर संभावित कानून का मुखौटा है।

याचिका के अनुसार राज्य सरकार ने दिल्ली में दिल दहला देनेवाली श्रद्दा वालकर की हुई हत्या की घटना के बाद अंतर-धर्म विवाह को लेकर कमेटी गठित करने के संबंध में 13 दिसंबर 2022 को शासनादेश जारी किया है। शासनादेश के मुताबिक कमेटी के पास अंतरधर्म से जुड़े मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार होगा। एक तरह से यह अंतर-धर्म विवाह करनेवाले जोड़ो के निजता से जुड़े अधिकार का हनन होगा। 

याचिका में दावा किया गया कि मामले से को लेकर सरकार की ओर से जारी किया गया शासनादेश झूठे गढे गए अख्यानों पर आधारित है। याचिका में कहा गया है कि आपसी सहमति से विवाह करनेवाले दो वयस्कों पर निगरानी रखने की कोई जरुरत नहीं है। याचिका में कहा गया है कि इस विषय पर कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही जल्दबाजी में सरकार ने शासनादेश जारी कर दिया है। इसलिए अंतरिम राहत के तौर पर सरकार की ओर से जारी शासनदेश पर रोक लगाई जाए।

 

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