छोटे परिवार को प्रोत्साहन देने तय की गई है दो बच्चों की सीमा : हाईकोर्ट में सरकारी वकील की दलील

छोटे परिवार को प्रोत्साहन देने तय की गई है दो बच्चों की सीमा : हाईकोर्ट में सरकारी वकील की दलील

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-26 15:05 GMT
छोटे परिवार को प्रोत्साहन देने तय की गई है दो बच्चों की सीमा : हाईकोर्ट में सरकारी वकील की दलील

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने छोटे परिवार की अवधारणा के तहत नौकरी में दो बच्चों की सीमा तय की है। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कंभुकोणी ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। हाईकोर्ट में दो से अधिक बच्चे होने के कारण आगनवाडी सेविका के पद से हटाए जाने को लेकर रत्नागिरी की दो आंगनवाडी सेविकाओं की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से सरकार के महिला व बाल विकास विभाग की ओर से 13 अगस्त 2014 को जारी शासनादेश को चुनौती देते हुए उसे रद्द करने की मांग की गई है।

इस शासनादेश के अनुसार दो से ज्यादा बच्चों की मां आंगनवाडी सेविका पद के लिए पात्र नहीं होगी। याचिका में एक आंगनवाडी सेविका ने दावा किया है कि जिस समय यह शासनादेश जारी किया गया था, उस वक्त उसके गर्भ में पहले से बच्चा था। शासनादेश जारी होने के दो महीने बाद उसे चौथी संतान हुई है। वह दस सालों से महिला व बाल विकास विभाग की ओर से चलाई जा रही एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत आंगनवाडी सेविका के रुप में काम कर रही थी। पहले उसकी नियुक्ति बालवाडी सेविका के रुप में की गई थी। उस समय बच्चे को लेकर कोई बंदिश नहीं था।  ऐसे में इस शासनादेश के आधार पर उसकी सेवा को समाप्त नहीं किया जा सकता।

याचिका में दावा किया गया है कि सेवा से से हटाए जाने का आदेश जारी करने से पहले न तो कोई नोटिस दी गई और न ही उसके पक्ष को सुना गया है। लिहाजा उसे नौकरी से निकाले जाने के संबंध में 12 मार्च 2018 को जारी किए गए आदेश को निरस्त किया जाए। क्योंकि इस आदेश को जारी करते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। 

न्यायमूर्ति आरएम सावंत व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता श्री कुंभकोणी ने कहा कि आगनवाडी में नौकरी के लिए दो बच्चों की पाबंदी का नियम काफी पहले से है। सरकार ने छोटे परिवार की अवधारणा के तहत आंगनवाडी सेविका के लिए दो बच्चों की सीमा तय की है। इसलिए उन्हें पुराना शासनादेश पेश करने के लिए वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 3 अक्टबूर तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

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