शिवसेना की बीजेपी को चुनौती, हिम्मत है तो प्रदेश में कराएं मध्यावधि चुनाव 

शिवसेना की बीजेपी को चुनौती, हिम्मत है तो प्रदेश में कराएं मध्यावधि चुनाव 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-15 15:19 GMT
शिवसेना की बीजेपी को चुनौती, हिम्मत है तो प्रदेश में कराएं मध्यावधि चुनाव 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना ने बीजेपी को प्रदेश में मध्यावधि चुनाव कराने की चुनौती दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राऊत ने कहा कि बीजेपी में यदि हिम्मत है, तो राज्य में मध्यावधि चुनाव करा करके दिखाए। रविवार को पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए राऊत ने कहा कि देश में हवा बदल रही है। उप चुनाव में जनमत बीजेपी के विरोध में गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रदेश और देश में वातावरण बन रहा है। उससे बीजेपी राज्य मध्यावधि चुनाव के लिए हिम्मत नहीं कर पाएगी। ग्राम पंचायत चुनाव के पहले चरण में बीजेपी अयोध्या के प्रभु श्री राम का स्मरण कर बताए कि पार्टी के कितने सरपंच चुने गए हैं। 

दबाव की राजनीति न करे बीजेपी

राऊत ने कहा कि प्रदेश में मध्यावधि चुनाव के बारे में विपक्ष और सहयोगी दलों पर लगातार दबाव डाला जाता है। लेकिन शिवसेना इस तरह के दबावों से घुटने टेकने वाली नहीं है।  उन्होंने कहा कि यदि सरकार के विरोध में हम कोई आवाज उठाते हैं तो बीजेपी यह कहती है कि हमको शिवसेना की जरूरत नहीं है, पार्टी मध्यावधि चुनाव में जाने को तैयार है। राऊत ने कहा कि बीजेपी मध्यावधि चुनाव कराने की धमकी देने और दबाव की राजनीति न करे। यदि पार्टी में हिम्मत है तो चुनाव करा करके दिखाएं। 

सोशल मीडिया के लिए कानून 

इसी दौरान राऊत ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार सोशल मीडिया के लिए सख्त कानून बनाने जा रही है। संसद के शीतकालीन सत्र में इससे संबंधित विधेयक लाया जाएगा। राऊत ने कहा कि सोशल मीडिया पर बीजेपी के खिलाफ कोई कुछ बोलता है तो उसको सरकार के कुछ अधिकारी अपमानित करते हैं। राऊत ने दावा किया कि हमारे पास इन अधिकारियों के नाम हैं।

 निजी विज्ञापन एजेंसियों पर रुपए खर्च करने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल 

 सरकार की छवि बदलने, विकास कामों और नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से निजी विज्ञापन एजेंसियों को नियुक्त पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि सरकार के पास सूचना एवं जनसंपर्क विभाग होने के बावजूद निजी कंपनियों पर 300 करोड़ रुपए खर्च करने की क्या जरूरत है। 
 

 

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