सैनिकों की पत्नियों पर बयान देने वाले विधायक के खिलाफ एकजुट हुए शिवसेना-एनसीपी
सैनिकों की पत्नियों पर बयान देने वाले विधायक के खिलाफ एकजुट हुए शिवसेना-एनसीपी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सैनिकों की पत्नियों को लेकर विवादित बयान देने वाले भाजपा समर्थित सदस्य प्रशांत परिचारक के निलंबन वापस लेने के संबंध में मंजूर प्रस्ताव को लेकर शिवसेना ने विधानमंडल के दोनों सदनों में विरोध किया। परिचारक के निलंबन को बरकरार रखने के मुद्दे पर शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस एक साथ नजर आयी। गुरुवार को विधान परिषद में शिवसेना सदस्य अनिल परब ने कहा कि परिचारक के निलंबन को वापस लेने संबंधित प्रस्ताव को सदन में हंगामे के बीच सरकार ने मंजूर कराया है। परिचारक का निलंबन बरकार रखना चाहिए।
प्रस्ताव हंगामे के बीच पारित कराया
राष्ट्रवादी कांग्रेस के सदस्य सुनील तटकरे ने कहा कि बुधवार को सदन में परिचारक के निलंबन वापस लेने का प्रस्ताव हंगामे के बीच पारित कराया गया था। हम चाहते हैं कि इस निलंबन को वापस लेने के प्रस्ताव पर सदन में मतदान कराया जाए। इससे पता चल जाएगा कि सैनिकों के प्रति सभी दलों के सदस्यों में कितना सम्मान है। इससे पहले परब ने कहा कि शिवसेना की मांग है कि परिचारक की सोलापुर स्थानीय प्राधिकारी संस्था सीट पर नए सिरे से चुनाव कराया जाए। इस सीट के चुनाव में भाजपा किसी अन्य वक्ति को उम्मीदवार बनाए। शिवसेना उस सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी। हम विपक्षीय दलों से अपील करेंगे कि वह भी अपना उम्मीदवार उस सीट पर न उतारे।
निलंबन वापस लेने का प्रस्ताव सर्वसहमति से मंजूर
इस पर विधान परिषद में सभापति रामराजे निंबालकर ने कहा कि परिचारक के निलंबन वापस लेने का प्रस्ताव सर्वसहमति से मंजूर किया गया था। फिर भी यदि सदन के किसी सदस्य को इस पर आपत्ति है तो वह नोटिस दे करके अपनी मांग कर सकता है। इसके जवाब में परब ने कहा कि मैं सोमवार को इस संबंध में प्रस्ताव पेश करूंगा। उधर, विधानसभा में शिवसेना सदस्य सुनील प्रभु ने भी परिचारक के निलंबन वापस लेने के फैसले का विरोध किया। प्रभु ने कहा कि परिचारक देशद्रोही है। उनका निलंबन रद्द करना सैनिकों का अपमान है। ऐसा व्यक्ति विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता है। हम चाहते हैं कि उनका निलंबन बरकार रहे।
डेढ़ साल के लिए था परिचारक का निलंबन
इससे पहले 9 मार्च 2017 को विधान परिषद में परिचारक का निलंबन डेढ़ साल के लिए किया गया था। लेकिन विधान परिषद में सदन के नेता व प्रदेश के राजस्व मंत्री चंद्रकांत ने बुधवार को निलंबन वापस लेने प्रस्ताव पेश किया था। जिसको सरकार ने सर्वसहमति से मंजूर कराया लिया। लेकिन शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने परिचारक के निलंबन पर आक्रामक रूख अख्तियार किया है। इस कारण सदन में शिवसेना के सदस्यों ने विरोध किया।