गौरैया की हिफाजत के लिए स्कूली बच्चों ने बनाए स्पैरो हाउस
सतना गौरैया की हिफाजत के लिए स्कूली बच्चों ने बनाए स्पैरो हाउस
डिजिटल डेस्क, सतना। एक्सीलेंस स्कूल के ११ वीं कक्षा के जीव विज्ञान के विद्यार्थियों ने तेजी से खत्म हो रही गौरैया के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए स्पैरो हाउस (घोसले) बनाए
है। वैज्ञानिक आधार पर गौरैया के प्राकृतिक आवासों की तर्ज पर तैयार किए गए इन घोसलों की रविवार को यहां विश्व गौरैया दिवस के मौके पर चौपाटी में प्रदर्शनी लगाई गई। वर्कशाप का भी आयोजन किया गया।
डेढ़ वर्ष बाद मिली कामयाबी :-----
गौरैया संरक्षण पर विगत १२ वर्षों से काम कर रहीं डा. अर्चना शुक्ला इस स्पैरो हाउस की सूत्रधार हैं। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों डेढ़ वर्ष बाद अंतत: सफलता मिली। उन्होंने बताया कि अध्ययन के दौरान यह तथ्य सामने आया कि गौरैया की घटती तादाद की मुख्य वजह उसके घोसलों के लिए उपयुक्त स्थान का अभाव है।
अंतत: एक ऐसा मॉडल बनाने में सफलता मिली जो वैज्ञानिक एवं प्राकृतिक रुप से गौरैया के लिए अनुकूल और उपयुक्त। कई घोसले ऐसे मिले जिसे गौरैया ने साल में तीन बार अपनाया था। 11वीं क्लास के जीव विज्ञान विषय के स्टूडेट हर्षित चौरसिया, टेस्टिंग में कल्पना कुशवाहा और क्यूआर कोड तैयार करने में रोहित गुप्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
व्हाइट टाइगर सफारी से भी आई मांग :----
डा. अर्चना शुक्ला के गाइडेंस में जीव विज्ञान के विद्यार्थियों ने फिलहाल 100 स्पैरो हाउस बनाए हैं। रविवार को प्रदर्शनी और डेढ़ घंटे की वर्कशॉप के दौरान लोग घरों में लगाने के लिए 50 से ज्यादा घोसले ले गए। व्हाइट टाइगर सफारी के डायरेक्टर संजय रायखेड़ा ने भी स्पैरो हाउसेस की डिमांड की है। गूगल फार्म और सोशल मीडिया लिंक के कारण मुंबई और पुणे से भी मांग आई है। वर्कशॉप में गर्वमेंट पीजी कालेज के जीव विज्ञान के एचओडी प्रो.शिवेश प्रताप सिंह, गिद्ध विशेषज्ञ दिलशेर खान एवं वन तथा शिखा विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहे।