जैन कलार समाज संस्था में जमीन खरीदी के नाम पर घोटाला

जैन कलार समाज संस्था में जमीन खरीदी के नाम पर घोटाला

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-24 10:24 GMT
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डिजिटल डेस्क,नागपुर। जैन कलार समाज संस्था में लाखों रुपए की अफरा-तफरी करने का मामला उजागर हुआ है। इस मामले में धर्मदाय आयुक्त को भी अंधेरे में रखा गया था। संस्था के ही एक सदस्य की शिकायत पर सक्करदरा थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच अपराध शाखा के आर्थिक विभाग को सौंपी जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार हनुमान नगर निवासी अनिल तिड़के (72) जैन कलार समाज संस्था के सदस्य हैं। 1987 में संस्था को उमरेड रोड स्थित रेशमबाग में लीज पर जमीन मिली थी। यह जमीन नागपुर सुधार प्रन्यास की तरफ से दी गई थी। बाद में इस जमीन पर संस्था की तरफ से समाज भवन तैयार किया गया। इसके लिए अनिल तिड़के ने संस्था को एक लाख रुपए का दान दिया था। वर्ष 2004 में संस्था में चुनाव हुआ। नए पदाधिकारी काम करने लगे थे,लेकिन वर्ष 2016 से अभी तक संस्था में कोई चुनाव नहीं हुआ। मनमर्जी से संस्था का कार्यभार किया जा रहा था। संस्था में बडे़ पैमाने में आर्थिक गैर व्यवहार होने की बात अनिल के ध्यान में आने से उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई।

धर्मदाय आयुक्त से मामले की शिकायत की गई। प्रकरण की गंभीरता से धर्मदाय आयुक्त की तरफ निरीक्षक के रुप में गाडगे नामक अधिकारी की नियुक्ति की गई।    जांच में वर्ष 2016-2017 में यवतमाल में संस्था के नाम से सभागृह के लिए जमीन खरीदने की जानकारी दी गई। इसके लिए 2 लाख रुपए खर्च दिखाया गया बताया जाता है कि जिस जमीन की खरीदी का हिसाब दिखाया गया वास्तव में उस जमीन की खरीदी ही नहीं हुई है। 2 लाख रुपए की जमीन सिर्फ कागजों पर  दिखाकर खानापूर्ति की गई। लाखनी में 42 लाख 21 हजार 450 रुपए का गबन हुआ है। इसी तरह पवनी निर्माण कार्य के नाम पर 1 लाख 63 हजार 635 रुपए और चामोर्शी में 7 लाख 35 हजार रुपए का गबन किया गया है।

वर्ष 2015 में चंद्रपुर जिले के ब्रम्हपुरी में एक एकड़ जमीन 70 लाख रुपए में खरीदी गई थी,जो जमीन खरीदने के दो महीने बाद ही खरीदी गई जमीन में से कुछ जमीन 8 लाख रुपए में बेच दी गई । इस जमीन खरीदी-बिक्री में भी 50 लाख रुपए का घोटाला किया गया है। अभी तक 1 करोड़ 3 लाख 20 हजार 80 रुपए का घोटाला संस्था में हुआ है। इसे सुनियाोजित तरीके से अंजाम दिया गया है। जिससे अधिकांश मामलों में धर्मदाय आयुक्त की अनुमति भी नहीं ली गई । उन्हें अंधेरे में रखकर कार्य किए गए । घोटाले की रकम इससे भी ज्यादा होने की संभावना है। इस बीच प्रकरण दर्ज किया गया है। जांच जारी है।  

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