कोरोना के इलाज का भुगतान दो वर्ष बाद भी एसबीआई जनरल ने नहीं किया

पॉलिसी धारक की मौत के बाद भी जिम्मेदार कर रहे जालसाजी कोरोना के इलाज का भुगतान दो वर्ष बाद भी एसबीआई जनरल ने नहीं किया

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-03 13:50 GMT
कोरोना के इलाज का भुगतान दो वर्ष बाद भी एसबीआई जनरल ने नहीं किया

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। पॉलिसी कराने के बाद आम लोगों को यह आशा होती है बीमा पॉलिसी समय पर काम आएगी। बीमा कंपनी भी अनेक प्रकार का दावा करती है और जब मरीज अस्पताल में इलाज के लिए जाता है तो बीमा कंपनी अपने हाथ खड़े कर लेती है। बीमा अधिकारियों से कैशलेस के लिए संपर्क किया जाता है तो वे बाद में देने का वादा करते हैं पर बिल सबमिट करने के बाद क्लेम को ही रिजेक्ट कर देते हैं। पॉलिसी धारकों के साथ जालसाजी करने में लगे हुए हैं। यही नहीं कोरोना के इलाज का भी बीमा कंपनी के द्वारा आज तक क्लेम नहीं दिया जा रहा है। पीड़ित बीमा कंपनियों पर जालसाजी का आरोप लगाते हुए बीमा नियामक आयोग व जिम्मेदार अधिकारियों से कार्रवाई करने की माँग कर रहे हैं।

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परिजनों को कहा बीमित को इलाज की जरूरत ही नहीं थी

मप्र जबलपुर बरेला निवासी अरविंद चौकसे ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके पिता रामगोपाल चौकसे ने एसबीआई जनरल से हेल्थ इंश्योरेंस कराया था। अप्रैल 2021 में पिता कोरोना के शिकार हो गए। उन्हें गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहाँ पर इलाज के दौरान कैशलेस के लिए बीमा कंपनी में मेल किया गया तो क्लेम डिपार्टमेंट व अन्य अधिकारियों ने बिल सबमिट करने पर पूरा भुगतान करने का वादा किया। इलाज के दौरान रामगोपाल की मौत हो गई और उसके बाद बीमा कंपनी में सारे दस्तावेज सबमिट किए गए। बीमा कंपनी ने उन दस्तावेजों में अनेक प्रकार की क्वेरी निकालीं। बीमित ने दोबारा अस्पताल से दस्तावेज सत्यापित कराकर दिए तो बीमा अधिकारियों ने जल्द क्लेम देने का वादा किया पर दो वर्ष बाद भी अस्पताल के इलाज का भुगतान नहीं किया। बीमा कंपनी के द्वारा यह कहा गया कि उन्हें इलाज की जरूरत ही नहीं थी। पीड़ित ने कहा कि हालत गंभीर थी तो ही हमारे द्वारा अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी इलाज के दौरान ही मौत हो गई। उसके बाद भी बीमा कंपनी के द्वारा गोलमाल जवाब दिया जा रहा है। पीड़ित का आरोप है कि बीमा कंपनी के द्वारा जालसाजी की जा रही है। परेशान होकर पीड़ित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाने के बारे में सोच रहा है।
 

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