राज्य में बढ़ा हेपेटाइटिस का खतरा, रोजाना मिल रहे हैं 30 मरीज

महाराष्ट्र राज्य में बढ़ा हेपेटाइटिस का खतरा, रोजाना मिल रहे हैं 30 मरीज

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-02 12:22 GMT
राज्य में बढ़ा हेपेटाइटिस का खतरा, रोजाना मिल रहे हैं 30 मरीज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना, इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामले के बीच राज्य में अब हेपेटाइटिस बीमारी का भी खतरा बढ़ गया है। राष्ट्रीय वायरस नियंत्रण कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में रोजाना औसतन हेपेटाइटिस बी के 30 मामले मिल रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य का स्वास्थ्य विभाग अब जागरूकता बढ़ाने पर जोर दे रहा है। बता दें कि राष्ट्रीय वायरस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2020 से लेकर फरवरी 2023 तक राज्य के 38 लाख से अधिक लोगों की हेपेटाइटिस की स्क्रीनिंग की गई थी। इसमें से 22 हजार से अधिक लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित पाए गए। 

हेपेटाइटिस के है पांच उपप्रकार

हेपेटाइटिस बीमारी के पांच उपप्रकार है। इनमें ए, बी, सी, डी और ई शामिल है। विशेषज्ञों के मुताबिक इन पांच में से बी और सी का खतरा बना हुआ है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के सहायक संचालक डॉ. महेंद्र केंद्रे ने बताया कि 22 हजार में से सबसे ज्यादा मामले हेपेटाइटिस बी और सी के मिले है। उन्होंने बताया कि इस बढ़ते मामले को लेकर जनजागृति की जा रही है। इसके साथ ही नहीं राज्य रक्त संक्रमण परिषद को भी निर्देश दिया गया है कि वे रक्तदान के लिए आने वाले डोनर्स की हेपेटाइटिस जांच करें ताकि संक्रमित व्यक्ति का खून किसी और को न मिल सके। 

हेपेटाइटिस-बी से गर्भवती महिलाएं भी संक्रमित 

हेपेटाइटिस को लेकर की गई स्क्रीनिंग में हेपेटाइटिस-बी से गर्भवती महिलाएं ज्यादा संक्रमित पाई गई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक प्रदेश में 6 लाख 45 हजार 865 गर्भवती महिलाओं की हेपेटाइटिस- बी की स्क्रीनिंग की गई थी। इसमें से दो हजार से अधिक गर्भवती महिलाएं पॉजिटिव पाई गई। गर्भवती महिला से उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को हेपेटाइटिस-बी के प्रसार की आशंका अधिक रहती है। इसलिए जन्म के समय ही नवजात को जीरो डोज दिया जाता है। इसके बाद मां का सामान्य मरीज की तरह इलाज किया जाता है और बच्चे को टीका लगाया जाता है। इससे  मां से बच्चे में संक्रमण होने के खतरे को नियंत्रित किया जाता है।

तीन हजार मरीज उपचाराधीन

डॉ. केंद्रे के मुताबिक 22 हजार मरीजों में से तीन हजार मरीजों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। फिलहाल इन मरीजों का स्वास्थ्य स्थिर है। उन्होंने बताया कि इन 22 हजार मरीजों में से उन्हीं मरीजों का इलाज किया जाता है जिनके शरीर में हेपेटाइटिस का वायरल लोड ज्यादा होता है। 

क्या है हेपेटाइटिस

डॉ. केंद्रे ने बताया कि हेपेटाइटिस एक वायरस इंफेक्शन है जो लिवर को भी नुकसान पहुंचाता है। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न हो तो लिवर पूरी तरह खराब हो जाता है और लिवर ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ जाती है। हेपेटाइटिस का संक्रमण कई प्रकार का होता है। इसमें हेपेटाइटिस बी और सी के काफी मामले दर्ज किए जाते हैं। हेपेटाइटिस बी एक डीएनए वायरस है। जो शरीर के विभिन्न तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है। जब एक संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ में हेपेटाइटिस बी वायरल कण अन्य व्यक्तियों के शरीर में प्रवेश करता है, तो संक्रमण का संचरण होता है। 

टीबी के बाद दूसरी सबसे संक्रामक बीमारी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, वायरल हेपेटाइटिस टीबी के बाद होने वाली दूसरी सबसे संक्रामक बीमारी है। हालांकि 10 में से 9 लोगों को इस बीमारी के लक्षणों की जानकारी नहीं होती है। ये वायरस एक साइलेंट किलर होती है क्योंकि लोगों को इसके लक्षण काफी देरी से पता चलते हैं।

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