दोपहिया वाहनों के साथ हेलमेट नहीं दिया, तो पंजीकरण पर लगेगी रोक
दोपहिया वाहनों के साथ हेलमेट नहीं दिया, तो पंजीकरण पर लगेगी रोक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने दोपहिया वाहनों के साथ हेलमेट मुफ्त देने का मुद्दा उठाती जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के पिछले आदेशानुसार नागपुर शहर के 16 ऑटोमोबाइल डीलरों ने हाईकोर्ट में हाजिरी लगाई। उन्होंने अपने अधिवक्ता शरद भट्टड के माध्यम से कोर्ट में सफाई दी कि वाहन निर्माता कंपनियां ही दोपहिया वाहनों के साथ हेलमेट नि:शुल्क नहीं देती, लिहाजा वे भी अपने ग्राहकों को दोपहिया के साथ हेलमेट नहीं दे रहे है। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य परिवहन आयुक्त को प्रदेश मंे संचालित दोपहिया निर्माता कंपनियों से संपर्क करके छह सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए साफ किया कि यह नीति लागू होने में विलंब होने पर कोर्ट राज्य में दोपहिया वाहनों के पंजीयन पर रोक लगा देगा।
यह है मामला
हाईकोर्ट में सौरभ भारद्वाज द्वारा जनहित याचिका में हेलमेट और यातायात सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के अनुसार दोपहिया वाहनों की बिक्री के वक्त मोटर कंपनियों को साथ में एक आईएसआई मार्क वाला हेलमेट देना अनिवार्य है। नागपुर में इस नियम का उल्लंघन हो रहा है। ग्राहकों को दोपहिया वाहन के साथ हेलमेट नहीं दिया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इसकी पुष्टि के लिए आरटीओ में सूचना के अधिकार के तहत अनेक वाहनों के दस्तावेज टटोले, जिसमें वाहन के साथ हेलमेट ना बेचे जाने का खुलासा हुआ। याचिकाकर्ता के अनुसार, बगैर हेलमेट के गाड़ी चलाना खतरनाक है। वर्ष 2017 में बगैर हेलमेट गाड़ी चलाने वाले 4140 लोग हादसे का शिकार हुए हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से प्रार्थना की है कि दोपहिया बिक्री के साथ ही हेलमेट साथ में देना भी अनिवार्य करें। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अवधेश केसरी और केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता उल्हास औरंगाबादकर ने पक्ष रखा।