राऊत का दावा शिवसेना का ही होगा मुख्यमंत्री, अठवले की सलाह इतना भी अड़ना ठीक नहीं

राऊत का दावा शिवसेना का ही होगा मुख्यमंत्री, अठवले की सलाह इतना भी अड़ना ठीक नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-05 15:22 GMT
राऊत का दावा शिवसेना का ही होगा मुख्यमंत्री, अठवले की सलाह इतना भी अड़ना ठीक नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकार बनाने को लेकर भाजपा और शिवसेना में रसाकशी के बीच सांसद संजय राउत ने फिर कहा कि मुख्यमंत्री हमारा ही होगा। यह न्याय और अधिकार की लड़ाई है। राऊत ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा। हम हवा में तीर नहीं मारते हैं। राऊत ने कहा कि शिवसेना अपनी भूमिका पर कायम है। हम चाहते हैं कि तय फार्मूले के अनुसार सरकार बने। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सामने भाजपा और शिवसेना के बीच सत्ता में भागीदारी का 50-50 का जो फार्मूला तय हुआ था उसी पर अमल होना चाहिए। सरकार बनाने का केवल एक लाइन का प्रस्ताव है। इसलिए शिवसेना को अलग से नया प्रस्ताव देने की जरूरत नहीं महसूस हो रही है। राऊत ने कहा कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील कह रहे हैं कि सरकार बनाने के लिए शिवसेना की ओर से प्रस्ताव ही नहीं आया है, पाटील ऐसा कैसे कह सकते हैं। पाटील को लोकसभा चुनाव से पहले शाह की मौजूदगी में हुई बैठक को याद करना चाहिए। राऊत ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की चर्चा हो रही है पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ तो जनता का अपमान होगा। राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला भंयकर आपदा साबित होगा। इससे पहले राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र में स्थिर सरकार बनाने की भूमिका राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की है। यही भूमिका शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे की भी है। 


मुख्यमंत्री पद के लिए अड़े रहकर शिवसेना खुद का कर रही है नुकसान

उधर नई दिल्ली में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री एवं आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले ने शिवसेना को 1995 के चुनाव के फार्मुले की याद दिलाते कहा कि उसने मुख्यमंत्री पद का मोह छोड़ देना चाहिए। कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए अड़े रहकर शिवसेना खुद का ही नुकसान कर रही है। विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार दिल्ली आए केन्द्रीय मंत्री आठवले ने कहा कि 1995 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 73 और भाजपा ने 65 सीटें जीती थी। उस समय गठबंधन में पांच साल मुख्यमंत्री शिवसेना का था और भाजपा के पास उपमुख्यमंत्री पद था। तब भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के लिए आग्रह नहीं किया था। इस बार भाजपा की सीटें शिवसेना के मुकाबले ज्यादा हैं। इसलिए गठबंधन का धर्म निभाते हुए शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद का आग्रह छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं, तो बात अलग है। आदित्य ठाकरे छोटा लड़का है और उसे अनुभव भी नही है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के मिलकर सरकार बनाने की संभावना पर आठवले ने कहा कि यह संभव है कि शिवसेना और एनसीपी मिलकर सरकार बनाए, लेकिन इसका तीनों को नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि जनाधार के खिलाफ यह सरकार बनी हैं, ऐसा लोगों में संदेश जायेगा। चुनाव होने पर तीनों को हार का सामना करना पड़ेगा और भाजपा बहुमत में आ जायेगी। भाजपा-सेना की सीटें कम होने के मुद्दे पर आठवले ने कहा कि दोनों पार्टियों के बागी उम्मीदवार चुनाव में खड़े थे यही सबसे बड़ी वजह है। इतना ही नहीं आठवले मानते हैं कि शरद पवार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि राज्य में सत्ता स्थापन करने को लेकर, जो गतिरोध बना हुआ है उसे सुलझाने के लिए वे केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकत करेंगे और उनसे अनुरोध करेंगे कि वह अपनी तरफ से शिवसेना से बातचीत करें। 
 

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