जांच से बचने के लिए नौकरी छोड़ कर भागना चाहते हैं रानाडे

जांच से बचने के लिए नौकरी छोड़ कर भागना चाहते हैं रानाडे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-31 17:18 GMT
जांच से बचने के लिए नौकरी छोड़ कर भागना चाहते हैं रानाडे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दुष्यंत मिश्र। दलित उत्पीड़न (एट्रासिटी) के आरोपी मुंबई यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग प्रमुख संजय रानाडे अपने पद से इस्तीफा देना चाहता हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया है। यूनिवर्सिटी ने जांच जारी रहने तक रानाडे को पद पर बने रहने को कहा है। इस मामले में एससीएसटी कमीशन ने भी यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है। जबकि कर्मचारी संगठन रानाडे को हटाने की मांग कर रहे हैं। इससे इस विवादित प्रोफेसर की मुश्किले बढ़ती जा रही हैं।  


मुविवि के विभागाध्यक्ष के खिलाफ दर्ज हुआ है एट्रोसिटी का मामला


मिली जानकारी के अनुसार रानडे ने यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया था और एक निजी यूनिवर्सिटी में उनकी नियुक्ति हो चुकी थी लेकिन मुंबई यूनिवर्सिटी ने जांच का हवाला देकर उन्हें फिर से कामकाज संभालने को कहा है। रानाडे को यूनिवर्सिटी ने यह कहते हुए कामकाज संभालने को कहा कि उनकी अनुपस्थिति में विभाग के कामकाज पर असर पड़ रहा है साथ ही विभागीय जांच के बीच उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा सकता। दरअसल रानडे और सहायक प्राध्यापिका डॉ दैवता पाटील के खिलाफ जातिगत टिप्पणी के आरोप में मुंबई के बांद्रा कुर्ला पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई गई है। शुरूआती जांच में तथ्य मिलने के बाद ही पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। 


यूनिवर्सिटी का फरमान, जांच पूरी होने तक नहीं दे सकते इस्तीफा 


पूर्व विभाग प्रमुख डॉक्टर सुंदर राजदीप ने यह शिकायत की है। इस बाबत जांच के लिए विभागीय समिति भी बनाई गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है। इसके अलावा एससीएसटी कमीशन ने भी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से मामले में सफाई मांगी है। इसके बावजूद रानडे के विभागाध्यक्ष बने रहने पर कई लोगों ने हैरानी जताई है। दरअसल पत्रकारिता विभाग में 90 फीसदी नियुक्तियां अस्थायी है। विभाग प्रमुख की मंजूरी के बिना इनका कांट्रैक्ट आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। ऐसे में जिन लोगों के सामने घटना हुई है वे गवाही के दौरान सच बोलने में हिचक सकते हैं। इसीलिए निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें विभाग प्रमुख के पद से हटाना जरूरी है। इस बाबत संबंधित अधिकारियों से संपर्क की कोशिश नाकाम रही। इस संबंध में उनका पक्ष जानने के लिए  जब ‘दैनिक भास्कर’ ने रानाडे से सम्पर्क किया तो वे इस संवाददाता को धमकाने लगे।

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