आदर्श गांव के रूप में ख्याति प्राप्त है रालेगणसिद्धि, अन्ना हजारे बना दिया नंदनवन

आदर्श गांव के रूप में ख्याति प्राप्त है रालेगणसिद्धि, अन्ना हजारे बना दिया नंदनवन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-02 05:22 GMT
आदर्श गांव के रूप में ख्याति प्राप्त है रालेगणसिद्धि, अन्ना हजारे बना दिया नंदनवन

डिजिटल डेस्क, रालेगणसिद्धि। आदर्श गांव के रूप में अनेक पुरस्कार प्राप्त रालेगणसिद्धि की ख्याति महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में है। अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से गांव का नाम लोगों की जुबां पर चढ़ गया। अन्ना ने गांव के विकास के लिए अपना जीवन समर्पित कर उसे नंदनवन बनाया। अकाल से पीड़ित गांव की खेती वर्षा के जल पर निर्भर थी। रोजगार के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता था। लोगों ने शिंदी के पेड़ लगाए और हाथभट्‌ठी शुरू की। लोग व्यसन के जाल में जकड़े हुए थे। सेना से निवृत्ति के बाद गांव लौटे अन्ना हजारे ने गपशप के केंद्र बने यादवराव मंदिर का अपने पैसों से जीर्णोद्धार करवाया। लोगों ने मंदिर के निर्माण के लिए श्रमदान किया। मंदिर में गांव की समस्याओं पर चर्चा के साथ ही और मंदिर से ही विकास की गंगा बहाई।

पाणलोट विकास योजना
1972 में टाटा रिलीफ फंड से गांव में खेती के लिए पानी की कमी को देखते हुए पाणलोट विकास योजना कार्यान्वित की गई। पहाड़ी से नीचे बहने वाले पानी का संग्रहण किया गया। 1975 से 1981 तक अनेक विकास कार्य किए गए। श्रमदान से 45 नाला बांध और एक तालाब बनाया गया। गांव में बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया गया। पहाड़ी के पानी से कुओं को भरा गया। पाणलोट विकास योजना से गांव का रूप ही बदल गया। 

शराबबंदी आंदोलन
गांव कोनशामुक्त बनाने के लिए अण्णा ने दारूबंदी आंदोलन चलाया। हाथभट्‌ठी नष्ट किए गए। शराबियों को मंदिर के सामने स्थित खंभे से बांध दिया जाता था। आते-जाते लोग उसे ताने मारते। गांव शत-प्रतिशत व्यसनमुक्त हो गया। कोई व्यक्ति न तंबाकू खाता है न ही बीड़ी या सिगरेट पीता है। 

महिलाओं के विकास को प्राथमिकता
महिलाओं के विकास को प्राथमिकता दी गई। बचत समूह की महिलाओं ने महिला सर्वांगीण उत्कर्ष मंडल की स्थापना की गई। बचत समूह द्वारा दुग्ध व्यवसाय, कुक्कुट पालन, सिलाई, चूड़ी व्यवसाय, किराना, स्टेशनरी, सब्जी-भाजी बिक्री, होटल व्यवसाय संचालित किए जा रहे हैं।

फेल विद्यार्थियों की शाला
रालेगणसिद्धि में एक अभिनव स्कूल है फेल विद्यार्थियों का। फेल विद्यार्थी ही नहीं, कुसंगति में फंसे बच्चों को भी प्रवेश दिया जाता है। नियमित विद्यार्थी भी शिक्षा ग्रहण करते हैं। आज यहां उच्च माध्यमिक विद्यालय और छात्रावास है। 

दुग्धोत्पादन में वृद्धि
अच्छी फसल होने पर गांववासियों ने मवेशियों का पालन शुरू किया। दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई। श्री संत यादवबाबा सहकारी दूध संस्था की स्थापना की गई। दूध के फैट की जांच के लिए कमप्यूटराइज्ड मशीन लगाई गई है। 

धान्य बैंक
गांव में धान्य बैंक की स्थापना की गई है जहां अतिरिक्त अनाज लोग जमा कराते हैं। यह अनाज जरूरतमंद लोगों को उपलब्ध कराया जाता है। जितना अनाज लेते हैं उससे 25 प्रतिशत अधिक अनाज बैंक को लौटाना पड़ता है। गांव में महाराष्ट्र बैंक की शाखा भी है। इसके अलावा विभिन्न उपक्रम चलाए जाते हैं। 

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