पुरोहितों ने अमेरिका में बैठे जजमान के घर की वास्तु शांति ऑनलाइन की सम्पन्न

बीड पुरोहितों ने अमेरिका में बैठे जजमान के घर की वास्तु शांति ऑनलाइन की सम्पन्न

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-30 12:54 GMT
पुरोहितों ने अमेरिका में बैठे जजमान के घर की वास्तु शांति ऑनलाइन की सम्पन्न

डिजिटल डेस्क, बीड। अमेरिका में बैठे जजमान के घर की वास्तु शांति के लिए भारतीय पुरोहितों ने ऑनलाइन पूजन किया। बात परली तहसील के सिरसाला गांव की है, जहां पुरोहितों ने लैपटॉप के माध्यम से सात समंदर पार एक घर की ऑनलाइन वास्तु शांति की। बताया जा रहा है कि दिनेश नारायण तासीलदार जो पंढरपुर के रहने वाले हैं, पढ़ाई पूरी कर अमेरीका में नौकरी करने चले गए। जो अपने परिवार के साथ फीनिक्स एरिजोना शहर में रहते हैं। वहां उन्होंने प्लाट लिया और घर बनाने का काम शुरु कर दिया, कुछ ही समय में घर बनकर तो तैयार हो गया, लेकिन परिवार वालों को समझ नहीं आ रहा था कि वास्तु शांति की विधी किस तरह पूरी की जाए। विदेश में वास्तु शांति के बारे में किसी को पता नहीं होता, क्योंकि वहां की संस्कृति अलग है, ऐसे में तासीलदार परिवार ने भारत में बैठे पुरोहितों से बात की, जिसके बाद ऑनलाइन पूजन का फैसला लिया।

दिनेश ने पुरोहित प्रशांत दिलीपशास्त्री जोशी और उनके ग्रुप को ऑनलाइन वास्तु शांति करने को कहा। वीडियो कॉन्फ्रेंस दिलीप अंबादास जोशी, प्रशांत दिलीप शास्त्री जोशी, सत्यम कुलकर्णी, अक्षय खंबसवाडकर, समर्थ रसाल, व्यंकटेश रसाल, श्रीपाद कुलकर्णी, दिनेश बडवे, क्रांती सिंह उत्पात सभी ने पूजन शुरु किया, मंत्रोच्चार के बाद कुल दो घंटे में गृहप्रवेश और वास्तु शांति की विधी पूरी हुई।

प्रशांत दिलीपशास्त्री जोशी के मुताबिक हर किसी का सपना होता है कि जब वह अपने नए घर में प्रवेश करे, तो वहां सिर्फ खुशियां हो। जब हम नया घर खरीदते हैं या बनवाते हैं। तो कई बार हम वास्तु पर ध्यान नहीं देते और कोई न कोई कमी रह जाती है। जिसे दूर करने के लिए गृह प्रवेश करने से पहले हवन, ग्रह शांति, शुद्धिकरण पूजा करवाते हैं। इसलिए भारत में पले बढ़े अमेरीका में रहने गए दिनेश के परिवार ने भारतीय संस्कृति को याद रखा।

दिनेश नारायण तासीलदार ने बताया कि उनपर माता-पिता, दादा-दादी का बड़ा प्रभाव है| त्यौहारों और रीति-रिवाजों के बारे में बहुत कुछ सीखा है। जब दिनेश माता पिता के साथ महाराष्ट्र के पंढरपुर गांव में रहते थे, तबसे पूरा बचपन धर्म और संस्कृति को देखते हुए निकला।  

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