कुछ ऐसा रहा कृषि मंत्री फुंडकर का सियासी सफर, राज्य में शोक की लहर
कुछ ऐसा रहा कृषि मंत्री फुंडकर का सियासी सफर, राज्य में शोक की लहर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर के मृदुभाषी और सरल स्वभाव के कारण विपक्ष के नेता भी उनके कायल थे। सदन से लेकर मंत्रालय तक फुंडकर को लोग भाऊसाहब के नाम से बुलाते थे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से लेकर राज्य मंत्रिमंडल के नए मंत्रियों के लिए वे भाऊसाहब ही थे।
BJP के वरिष्ठ नेताओं में से एक फुंडकर ने विदर्भ के ग्रामीण अंचल में पार्टी की जड़े जमाने के लिए खुब काम किया। इससे इस इलाके में BJP गांव-गांव तक पहुंच सकी। उनके अचानक निधन से BJP को बड़ा झटका लगा है। 21 ऑगस्ट 1950 को बुलढाणा जिले के नांदुरा तहसिल के नारखेड गांव में जन्मे फुंडकर बचपन से ही राष्ट्रीय स्वमसेवक संघ से जुड़ गए थे। कालेज के दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे।
1974 में जनसंघ युवा आघाडी के जिला महासचिव बनाए गए। 1976 में देश में आपातकाल लगने के दौरान फुंडकर को जेल भी जाना पड़ा। वे अकोला जेल में 3 महीने तक रहे। जेल से छुटने के बाद उन्हें मीसा के तहत गिरफ्तार कर ठाणे जेल में डाल दिया गया। यहां उन्हें 9 महीने जेल की सजा काटनी पड़ी। 1978 में महाराष्ट्र BJP युवा मोर्चा के महासचिव बनाए गए। 1982 में BJP युवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले फुंडकर साल 2000 में प्रदेश BJP के अध्यक्ष बने।
संभाली विधायक व सांसद की जिम्मेदारी
फुंडकर ने साल 1978 -1980 और 1980 से 1985 तक विधानसभा में विधायक के रूप में काम किया। साल 1989, 1991 और 1996 के आम चुनाव में तीन बार अकोला संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। साल 2000 से 2003 तक प्रदेश BJP के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। साल 2002 से 2008 तक विधान परिषद सदस्य रहे। इस बीच साल 2005 से 2008 तक विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया। जून 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटील के हाथों साल 2006-2007 के लिए उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार भी मिला। अप्रैल 2014 में विधान परिषद के लिए फिर से चुने गए और जुलाई 2016 में कैबिनेट मंत्री बने।
शत प्रतिशत BJP का नारा
प्रदेश BJP का अध्यक्ष बनने के बाद फुंडकर ने ही सबसे पहले शत प्रतिशत BJP का नारा दिया था। फुंडकर के राजनीतिक अनुभवों का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने जनसंघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और, जनता पार्टी, BJP में काम किया। प्रदेश में अक्टूबर 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में फडणवीस के नेतृत्व में BJP की सरकार बनी। तब उम्मीद जताई जा रही थी कि फुंडकर को राज्य मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन BJP नेतृत्व ने उन्हें मौका नहीं दिया। दिसंबर 2014 में BJP सरकार को शिवसेना द्वारा समर्थन देने के बाद हुए राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार में भी फुंडकर को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। पर फुंडकर ने कभी खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त नहीं की। आखिरकार 8 जुलाई 2016 को राज्य मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में फुंडकर को BJP ने मौका दिया और वे कैबिनेट मंत्री बन सके।
कृषि मंत्री के रूप में लिए अहम फैसले
प्रदेश के तत्कालीन कृषि मंत्री एकनाथ खडसे के जमीन खरीद घोटाले के चलते इस्तीफे देने के बाद फुंडकर को कृषिमंत्री बनाया गया। लगभग 20 महीने के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कृषि मंत्री के रूप में कई अहम फैसले लिए। फुंडकर ने उन्नत खेती-समृद्ध किसान योजना, समूह खेती, एकत्रित क्रॉपसैप योजना, महावेध परियोजना, नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी परियोजना, कृषि व अन्न प्रक्रिया उद्योग से जुड़े फैसले लेकर उन्होंने किसानों को राहत देने का प्रयास किया। इसके अलावा उन्होंने बीटी बीज को दूसरे राज्यों में उत्पादन करके महाराष्ट्र में विभिन्न कंपनियों के नाम से बिक्री के लिए (को-मार्केटिंग) लाइसेंस न देने का महत्वपूर्ण फैसला किया। दिवंगत फुंडकर के परिवार में पत्नी सुनिता फुंडकर के अलावा दो बेटे व एक बेटी है।
फुंडकर ने एमए प्रथम वर्ष तक की पढ़ाई की थी। फुंडकर को मॉस्को, ताश्कंद (रशिया), हाँगकाँग, बैंकाक, जकार्ता, बाली, सिंगापूर, मलेशिया व नेपाल का दौरा करने का मौका मिला था। उन्होंने जर्मनी, इगलैंड, फ्रान्स, नीदरलैंड, इटली, स्विटजरलेंड गए महाराष्ट्र के विधिमंडल अभ्यास दौरा का नेतृत्व भी किया था।