बिना निर्देशक, बिना पूर्वाभ्यास किया नाटक का मंचन, दर्शकों को अंत तक रखा बांधे

नाटक का मंचन बिना निर्देशक, बिना पूर्वाभ्यास किया नाटक का मंचन, दर्शकों को अंत तक रखा बांधे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-18 13:22 GMT
बिना निर्देशक, बिना पूर्वाभ्यास किया नाटक का मंचन, दर्शकों को अंत तक रखा बांधे

डिजिटल डेस्क, अकोला. अखिल भारतीय साहित्य परिषद विदर्भ प्रांत, अकोला शाखा की ओर से एक अनोखे नाटक का मंचन हुआ नाम है ‘व्हाइट  रैबिट, रेड रैबिट'। अमूमन नाटक के लिए पूर्वाभ्यास, मंचन की व्यवस्था तथा निर्देशन आवश्यक तत्व माने जाते हैं, लेकिन बिना निर्देशक, बिना पूर्वाभ्यास और नाटक पढ़े बिना नाटक का मंचन करना और सारे सभागार को अंत तक बांधे रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस  रोचक अनुभव के साक्षी बने अकोला वासी। नाटक के लेखक की पहली शर्त थी कि नाटक की पटकथा सभागार में दर्शकों के समक्ष बंद लिफाफे में अभिनेता को सौंपी जाए। इस चुनौती को स्वीकार किया अकोला के आशीष मालसे ने न केवल स्वीकार किया अपितु दर्शकों में से कुछ को नाटक में शामिल कर अंत तक नाटक रोचक बनाने में कुशलतापूर्वक सफल रहे। डिंपल मापारी ने नाटक की पटकथा से लेकर मंचन की सारी शर्तों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

ज्ञात हो की हाल ही में ईरानी लेखक ‘नसीम सोलीमैनपुर' लिखित “व्हाइट रैबिट रेड रैबिट' इस बहुचर्चित नाटक का मंचन ब्राह्मण सभा अकोला के अन्नासाहब देव सभागार में किया गया। यह नाटक विश्व की 30 से अधिक भाषाओं में अनुवादित हुआ है तथा विश्व के निपुण अभिनेताओं ने अभिनित किया है। 13 मार्च इस नाटक के लिए विशेष तिथि है। 13 मार्च को विश्व के 32 देशों में 75 जगहों पर इस नाटक का मंचन हुआ जिनमें से एक अकोला भी रहा। इस अनोखे कार्यक्रम की सफलता के लिए डॉ.अनघा देव, डॉ.अविनाश देव ने तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद के पदाधिकारी मोहिनी मोडक, डॉ.अलका तामने, डा.पूनम मानकर पिसे, डॉ.राम प्रकाश वर्मा ने विशेष परिश्रम किए। दर्शकों में डॉ.स्वाति दामोदरे, घनश्याम अग्रवाल तथा ब्राह्मण सभा के प्रधानाचार्य, शिक्षकवृंद कर्मचारी, दर्शक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।  कार्यक्रम की प्रस्तावना डा.गजानन मालोकार तथा आभार प्रदर्शन डिंपल मापारी ने किया।
 

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