प्लास्टिक बैन दिसंबर 2019 तक हो स्थगित, व्यापारियों के साथ सीएम से मिले भाजपा विधायक

प्लास्टिक बैन दिसंबर 2019 तक हो स्थगित, व्यापारियों के साथ सीएम से मिले भाजपा विधायक

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-28 14:22 GMT
प्लास्टिक बैन दिसंबर 2019 तक हो स्थगित, व्यापारियों के साथ सीएम से मिले भाजपा विधायक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्लास्टिक पाबंदी को लेकर राजनीति गर्मा रही है। सत्ताधारी भाजपा नेता भी इसके विरोध में सामने आ गए हैं, जबकि राकांपा ने सवाल किया है कि प्लास्टिक पाबंदी पर्यावरण रक्षा के लिए अथवा पार्टी का खजाना भरने के वास्ते की गई है। विधानसभा में भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक राज पुरोहित ने गुरुवार को व्यापारियों के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर मांग की कि प्लास्टिक पाबंदी को दिसंबर 2019 तक स्थगित किया जाए।

पुरोहित ने कहा कि प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से व्यापारी भी सहमत हैं, लेकिन जिस तरह बगैर वैकल्पिक व्यवस्था किए इसे लादा जा रहा है, उससे व्यापारी वर्ग डरा हुआ है। मुंबई मनपा के कर्मचारी बगैर कुछ सुने पांच-पांच हजार रुपए दंड वसूल रहे हैं।

व्यापारियों के साथ सीएम से मिले भाजपा विधायक
भाजपा विधायक ने कहा कि जो मनपा नालों-सड़कों की देखभाल नहीं कर पा रही है, उसे एक और वसूली का धंधा दे दिया गया है। पुरोहित ने कहा कि सरकार ने आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर प्लास्टिक पाबंदी थोप दी है। इसलिए हमनें सरकार से मांग की है कि प्लास्टिक पाबंदी को स्थगित कर व्यापारियों का उत्पीड़न रोका जाए।

पैसे जमा करने के लिए प्लास्टिक पाबंदीः राकांपा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने आरोप लगाया है कि जिस तरह सरकार ने प्लास्टिक पाबंदी की है उससे लगता है कि यह पाबंदी पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि अपनी पार्टी का खजाना भरने के लिए की गई है। पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि प्लास्टिक की जिन वस्तुओं का फिर से इस्तेमाल हो सकता है उस पर पाबंदी है, जबकि जिसका रिसायकिल नहीं हो सकता उस पर पाबंदी नहीं लगाई गई है। गौरतलब है कि पर्यावरण विभाग शिवसेना के पास है। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे भी इसी तरह का आरोप लगा चुके हैं। 

मलिक ने कहा कि सरकार का यह अभ्यासपूर्ण प्लास्टिक पाबंदी पर्यावरण रक्षा के लिए है, ना कि पार्टी का खजाना भरने के लिए। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक पाबंदी शुरु करने से पहले सरकार ने कोई अभ्यास नहीं किया। यह फैसला सिर्फ राजनीतिक लाभ और जनता को परेशानी में लाने के लिए किया गया है। मलिक ने कहा कि विदेशी कंपनियों के दबाव में सरकार ने रिसायकल वाली चीजों पर पाबंदी नहीं लगाई है। इससे पता चलता है कि सरकार की नियत साफ नहीं है।

उन्होंने कहा कि कैंडी, माउथ फ्रेशनर, लेस चिप्स, बिस्किट पैकेट, टूथपेस्ट आदि पैकेटबंद चीजों पर रोक नहीं लगाई गई है, जबकि प्लास्टिक चम्मच, गिलास, कैरी बैग जैसी फिर से इस्तेमाल होने वाली चीजों पर रोक लगा दी गई। राकांपा नेता ने कहा कि किन वस्तुओं का रिसायकल हो सकता है और किनका नहीं। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जानी चाहिए। इससे पर्यावरण का संरक्षण होगा साथ ही साढे चार लाख लोगों के बेरोजगारी का खतरा भी टल सकेगा। 

 

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