भीमा कोरेगांव हिंसा: संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सदन में हंगामा
भीमा कोरेगांव हिंसा: संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सदन में हंगामा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विपक्ष ने गुरुवार को पुणे के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी शिव प्रतिष्ठान के संस्थापक संभाजी भिड़े गुरुजी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विधान परिषद में जमकर हंगामा किया। इस मामले के आरोपी हिंदू एकता आघाड़ी के अध्यक्ष मिलिंद एकबोटे की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष भिड़े को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर आक्रामक नजर आया। विपक्ष के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के सामने आकर हंगामा किया। इस कारण सभापति रामराजे निंबालकर ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगति कर दी। सदन में राष्ट्रवादी कांग्रेस सदस्य विद्या चव्हाण ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए यह मुद्दा उठाया। चव्हाण ने इस मामले में सदन में चर्चा कराने की मांग की। लेकिन सभापति ने इसके लिए अनुमति नहीं दी। इससे नाराज सदन में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के सदस्य जयदेव गायकवाड, प्रकाश गजभिए समेत विपक्ष के अन्य सदस्य सदन में नारेबाजी करने लगे। इसको देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही स्थगति कर दी।
26 मार्च तक गुरुजी की गिरफ्तारी न हुई तो आंबेडकर निकालेंगे मोर्चा
उधर भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने शिव प्रतिष्ठान के संस्थापक और भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी संभाजी भिड़े उर्फ गुरु जी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए सरकार को 26 मार्च तक की समयसीमा दी है। आंबेडकर ने कहा कि अगर सरकार भिडे को गिरफ्तार नहीं करती तो 27 मार्च हो मुंबई में मोर्चा निकाला जाएगा। यह मोर्चा कोरेगांव भीमा शौर्य दिन प्रेरणा अभियान और सम्यक विद्यार्थी आंदोलन की तरफ से निकाला जाएगा।गुरूवार को विधानसभा स्थित पत्रकार कक्ष में पत्रकारों से बातचीत के दौरान आंबेडकर ने कहा कि मिलिंद एकबोटे के साथ संभाजी भिडे की भी भीमा कोरेगांव हिंसा में भूमिका थी। इसलिए उनकी भी गिरफ्तारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश से हमारी इस बात पर मुहर लगी है कि एकबोटे दंगाई है। भिडे की गिरफ्तारी न होने पर भायखला से विधानभवन तक मोर्चा निकाला जाएगा।
छात्रवृत्ति के लिए 75 फीसदी हाजिरी की शर्त हटे
आंबेडकर ने कहा कि एससी, एसटी, ओबीसी, विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए भी 75 फीसदी उपस्थिती की शर्त लगा दी गई है। लेकिन पिछड़े वर्ग के गरीब विद्यार्थियों को कई बार अपने परिवार की मदद के लिए जाना पड़ता है। ऐसे में इस शर्त से उनकी परेशानी बढ़ेगी इसलिए सरकार को यह शर्त तुरंत वापस लेनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के खातों में ही अब फीस और छात्रवृत्ति दोनों रकम भेजी जाने लगी है। यह ठीक नहीं है और पुरानी पद्धति के हिसाब से फीस कॉलेज के खाते में और छात्रवृत्ति विद्यार्थी के खाते में दी जानी चाहिए।