‘अभिमान गीत’ पर मचा बवाल, विपक्ष के आरोप पर सरकार ने दी सफाई

‘अभिमान गीत’ पर मचा बवाल, विपक्ष के आरोप पर सरकार ने दी सफाई

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-27 12:47 GMT
‘अभिमान गीत’ पर मचा बवाल, विपक्ष के आरोप पर सरकार ने दी सफाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठी भाषा गौरव दिन के मौके पर विधान मंडल में कवि सुरेश भट द्वारा रचित मराठी अभिमान गीत का सामूहिक गान किया गया। लेकिन इसके बाद सदन में नया विवाद शुरू हो गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सात कड़ियों वाली इस कविता से सरकार ने जानबूझकर एक कड़ी निकाल दी। जिसमें मराठी माणूस की व्यथा दर्शाइ गई है। विपक्ष ने मामले में सरकार से माफी मांगने को कहा। लेकिन मुख्यमंत्री ने सफाई दी कि विपक्ष जिन पंक्तियों की बात कर रहा है, वे मूल कविता का हिस्सा नहीं हैं। उसे पिछली सरकार के कार्यकाल में जोड़ा गया था।

पर्चे में छपी था ‘मराठी अभिमान गीत’, एक पंक्ति नदारद

दरअसल सरकार की ओर से पर्चा बांटा गया था, जिसमें ‘मराठी अभिमान गीत’ छपा था। इसमें छह कड़ियां थीं। विधानसभा में राकांपा के अजित पवार ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि गेट पर सुरक्षा रक्षक द्वारा रोक लिए जाने से सोमवार को अनुवादक के आने में देरी हुई और आज गीत गायन के समय माइक बंद हो गया और कविता की लाइनें हटा दी गईं हैं। सरकार का कामकाज ठीक नहीं चल रहा है। इसके लिए सरकार को माफी मांगनी चाहिए।

सरकार पर निशाना

विपक्ष के नेता विखेपाटील ने भी सरकार पर निशाना साधा। राकांपा के जयंत पाटील ने सवाल उठाया कि आपको कविता की लाइने हटाने का अधिकार किसने दिया। अब सरकार मराठी भाषा पर बोलने का अधिकार खो चुकी है। इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आक्रामक रुख अपनाते हुए सवाल किया कि कवि सुरेश भट की कविता की ये पंक्तियां कब लिखी गई, आप इसकी जांच कीजिए। अगर हमें अधिकार नहीं है तो ये लाइने आप ने किस अधिकार से जोड़ी। भाजपा की मेघा कुलकर्णी ने कहा कि जिस तरह राष्ट्रगीत में कई कड़ियां हैं लेकिन सभी नहीं गाई जातीं इसी तरह मराठी भाषा गौरव गीत में आखिरी कड़ी का उल्लेख नहीं किया जाता। 

सांस्कृतिक मंत्री की सफाई

विवाद के बाद सांस्कृतिक मंत्री विनोद तावडे ने सफाई दी कि कवि सुरेश भट के काव्यसंग्रह में यह कविता है। जिसमें छह कड़ियां ही हैं। लेकिन बाद में उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान चार और लाइने गाई थीं लेकिन ये कड़ी उनकी किताब का हिस्सा नहीं बनीं। इस मुद्दे पर हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। 
 

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