किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड पर काम करें अधिकारी: फडणवीस

किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड पर काम करें अधिकारी: फडणवीस

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-05 13:54 GMT
किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड पर काम करें अधिकारी: फडणवीस

डिजिटल डेस्क,मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसानों को खरीफ फसल कर्ज उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड पर काम करें। शनिवार को बांद्रा के रंगशारदा सभागृह में मुख्यमंत्री ने खरीफ फसल से जुड़ी तैयारियों का जायजा लेने के लिए राज्यस्तरीय बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिन किसानों को 100 फीसदी कर्जमाफी मिली है उन्हें दोबारा कर्ज मिल सके। 

युद्ध स्तर पर हो कार्य 
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले एक डेढ़ महीने राज्य के किसानों के लिए अहम हैं। इसलिए सरकार के सभी विभाग समन्वय से काम करें जिससे किसानों की परेशानी दूर की जा सके। मुख्यमंत्री ने जलयुक्त शिवार योजना के लिए अगले एक महीने युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जायजा बैठक में पहले विभागीय आयुक्त विभाग की खरीफ की तैयारी प्रस्तुत करते थे। इस दौरान खाद, बीज की उपलब्धता और दूसरी परेशानियों के बारे में बताया जाता था लेकिन इस बार संबंधित विभाग के विभागीय कृषि सहसंचालक ने प्रस्तुतीकरण किया।

राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालय भी इसमें शामिल थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2016-17 में कृषि विकास दर 22 फीसदी रही लेकिन कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जलयुक्त शिवार, मांग पर शेततले (छोटे तालाब) और सिंचाईं कुआं जैसी योजनाओं में सरकार ने बड़ा निवेश किया है और अब इसके अच्छे परिणाम नजर आने लगे हैं।  

अच्छे खाद और बीज का पर्याप्त भंडार-फुंडकर 
कृषिमंत्री पांडुरंग फुंडकर ने कहा कि सरकार के पास अच्छे बीज और खाद का पर्याप्त भंडार है। उन्होंने कहा कि पिछला साल खेती के लिहाज से मिलाजुला रहा। कुछ इलाकों में 15 से 20 फीसदी बरसात कम हुई। इसलिए मराठवाडा और विदर्भ इलाके में सोयाबीन के उत्पादन में कमी आई है जबकि चना और अरहर का उत्पादन बढ़ा है। कपास का उत्पादन शुरूआत में अच्छा रहा लेकिन बाद में सफेद इल्ली के चलते इसका उत्पादन भी घट गया। इस दौरान ज्वार और दूसरे अनाज का उत्पादन बढ़ा है।

सरकार ने उन्नत खेती समृद्ध किसान कार्यक्रम के तहत किसानों को 10215 ट्रैक्टर, 4011 पॉवर टिलर, 15784 ट्रैक्टर चलित औजार बांटे हैं। महाराष्ट्र देश का इकलौता राज्य है जिसने यांत्रिक खेती को बढ़ावा देने के लिए तीन सौ करोड़ रुपए खर्च किए। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 450 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं जबकि 31 मई तक 800 करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में डाले जाएंगे। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 94 लाख किसान शामिल हुए इसमें से 45 लाख किसानों को 2270 करोड़ रुपए नुकसान भरपाई मंजूर की गई है।  

आत्महत्या रोकने के लिए विशेष योजना 
फुंडकर ने कहा कि किसान आत्महत्या रोकने के लिए सरकार ने विश्वबैक की मदद से मराठवाडा और विदर्भ के 15 जिलों में नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी परियोजना शुरू की है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय कंपनी स्कायमेट कंपनी के साथ महावेध कार्यक्रम शुरू किया गया जिससे किसानों को मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी हो सके। इसके तरह सरकार एक रुपए खर्च किए बिना 2265 राज्यस्व मंडलों में मौसम केंद्र की स्थापना और मौसम से जुड़ी सारी जानकारी हासिल कर सकेगी।

इसके अलावा कृषि उपज को खराब होने से बचाने, उचित मूल्य दिलाने और भंडारण बढ़ाने के भी प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल विभिन्न फलों और सब्जियों के निर्यात के जरिए राज्य को छह हजार 544 करोड़ की विदेशी मुद्रा मिली है। आगामी साल में भी निर्यात बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।  

146 लाख 50 हेक्टेयर में बुआई 
अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) विजय कुमार ने बताया कि आगामी खरीफ की फसल के दौरान 146 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की संभावना है। इसके लिए 16 लाख 25 हजार क्विंटल बीज की जरूरत होगी। महाबीज, राष्ट्रीय बीज निगम के जरिए बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा 160 लाख नॉन बीटी कॉटन पैकेटों की जरूरत होगी फिलहाल 167 लाख पैकेट बीटी कॉटन उपलब्ध है।  

कृषि विवि के छात्रों के लिए ‘अर्न बाय लर्न’ योजना  
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि छात्रों के फिल्ड वर्क के लिए एक योजना तैयार की जाए। इसके तहत कृषि विश्वविद्यालय के छात्र 3 माह के लिए खेतों-किसानों के बीच जाकर काम करेंगे। इसकी एवज में उन्हें स्टायपेंड दिया जाएगा।    

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