अब मजदूरों को मुफ्त में मिलेगा दोपहर का भोजन, सरकार ने बनाई योजना

अब मजदूरों को मुफ्त में मिलेगा दोपहर का भोजन, सरकार ने बनाई योजना

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-13 13:49 GMT
अब मजदूरों को मुफ्त में मिलेगा दोपहर का भोजन, सरकार ने बनाई योजना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विजय सिंह "कौशिक"। स्कूलों में दोपहर के भोजन की तर्ज पर अब निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को भी सरकार दोपहर का भोजन मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। साथ ही मजदूरों के लिए मोबाईल टॉयलेट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इस बीच श्रम विभाग ने कंस्ट्रक्शन वर्कर वेलफेयर बोर्ड (महाराष्ट्र इमारत एवं बांधकाम कामगार कल्याण मंडल) में जमा भारी भरकम राशि को खर्च करने के लिए कई योजनाएं बनाई है। 

पंजीकृत मजदूरों की संख्या 6 लाख से अधिक

दरअसल राज्य की कांग्रेस-राकांपा आघाडी सरकार के दौरान भवन निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के कल्याण के लिए कंस्ट्रक्शन वर्कर वेलफेयर बोर्ड बनाया गया था। राज्य में 10 लाख रुपए से अधिक की लागत वाले निर्माण कार्य के लिए बोर्ड के पास 1 फीसदी बतौर चुंगी जमा करना पड़ता है। फिलहाल बोर्ड के पास 5 हजार 800 करोड़ रुपए जमा हैं। जबकि अभी तक इनमें से सिर्फ 375 करोड़ रुपए खर्च हो सके हैं, लेकिन अब फडनवीस सरकार के श्रम मंत्री संभाजी पाटील निलंगेकर ने मजदूरों के कल्याण के लिए 1100 करोड़ की योजना तैयार की है। फिलहाल बोर्ड के पास पंजीकृत मजदूरों की संख्या 6 लाख से अधिक है। 

1100 करोड़ की योजना तैयार 

निलंगेकर ने कहा कि पहले यह राशि खर्च करने सुस्ती बरती गई पर अब इसमें तेजी आई है। हमनें 1100 करोड़ रुपए की योजना तैयार कर ली है। जल्द ही इसके लिए टेंडर निकलेगा। उन्होंने बताया कि मजदूरों को दोपहर का भोजन देने की योजना केंद्र सरकार की है। जिसे हम महाराष्ट्र में लागू करने जा रहे हैं। इसके लिए बोर्ड में जमा निधि से खर्च किया जाएगा। इसके अलावा भवन निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को सायकिल और सेफ्टी किट दी जाएगी। साथ इनके आवास के लिए ट्रांजिट कैम्प तैयार किए जाएंगे। 

खटाई में पड़ गई थी लैपटाप बांटने की योजना 

इसके पहले अक्टूबर 2013 में राज्य के तत्कालिन श्रम मंत्री हसन मुश्रीफ ने मजदूरों के कल्याण के लिए मिली निधि को खर्च करने के लिए मजदूरों के बच्चों को लैपटाप व टेबलेट देने की योजना बनाई थी। स्कूल जाने वाले हर पंजीकृत मजदूर के एक बच्चे को लैपटाप अथवा टेबलेट देने की योजना थी। इस योजना पर 568 करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे। 50 लैपटाप खरीदे गए पर उसे मजदूरों के बच्चों को देने की बजाय श्रम विभाग के अधिकारियों ने उसे आपस में बांट लिया था। ( 16 अप्रैल 2015 को यह खबर भास्कर ने प्रकाशित की थी) 

अब स्थिति बदली 

श्रम मंत्री संभाजी पाटिल निलंगेकर ने कहा कि अभी तक खर्च की रफ्तार बेहद धीमी थी ,लेकिन अब स्थिति बदल रही है।  फिलहाल हमने 1100 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई है। इसके लिए जल्द ही टेंडर निकाला जाएगा।  
                                   
                                         

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