बस्ते के बोझ का झंझट खत्म, अब एक पुस्तक में सभी विषय, स्कूलों में नए पैटर्न पर अमल

राज्य शिक्षा मंडल बस्ते के बोझ का झंझट खत्म, अब एक पुस्तक में सभी विषय, स्कूलों में नए पैटर्न पर अमल

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-09 12:36 GMT
बस्ते के बोझ का झंझट खत्म, अब एक पुस्तक में सभी विषय, स्कूलों में नए पैटर्न पर अमल

डिजिटल डेस्क, नागपुर. विद्यार्थियों को आगामी शैक्षणिक सत्र से बस्ते में सभी पुस्तकों का बोझ उठाकर स्कूल जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। एक ही पुस्तक में सभी विषय रहेंगे। इससे अब विद्यार्थियों को स्कूल में एक ही पुस्तक ले जानी पड़ेगी। इस नए पैटर्न से विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ कम हो जाएगा। पहली से आठवीं कक्षा के लिए नया एकात्मिक पुस्तक पैटर्न लाया जा रहा है। राज्य शिक्षा मंडल से संलग्न स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा।

पायलट प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणाम

एकात्मिक पुस्तक पैटर्न का पायलट प्रोजेक्ट राज्य के चुनिंदा स्कूलों में गत वर्ष चलाया गया। नागपुर जिले में रामटेक तहसील व नागपुर शहर के यूअारसी-1 में इस पैटर्न पर अमल किया गया। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने पर आगामी शैक्षणिक सत्र से संपूर्ण राज्य में लागू किया जा रहा है।

एक कक्षा के जितने विषय हैं, सभी विषय की एक पुस्तक बनाई गई है। उसे 4 भागों में विभाजित किया गया। संपूर्ण शैक्षणिक सत्र की अवधि को चार हिस्सों में बांटा जाएगा। प्रथम सत्र परीक्षा तक पहले पुस्तकों के भाग 1 और भाग 2 की पढ़ाई पूरी की जाएगी। द्वितीय सत्र के लिए भाग 3 और भाग 4 का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। पुस्तक के एक भाग की पढ़ाई पूरी होने के बाद अगले भाग की पुस्तक का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। यानी एक समय विद्यार्थी को पुस्तक का कोई एक ही भाग स्कूल जाते समय साथ ले जाना पड़ेगा। इस पैटर्न से विद्यार्थी हर रोज संपूर्ण पुस्तकों का बोझ पीठ पर लादकर ले जाने की झंझट से बच जाएंगे।

शारीरिक व्याधि से होगी सुरक्षा

पुस्तकों के साथ पानी की बोतल, टिफिन, कंपास बॉक्स आदि साथ ले जाने से बस्ते का बोझ बढ़ गया है। शारीरिक क्षमता से ज्यादा बोझ लाने-ले-जाने से अनेक विद्यार्थियों में विविध प्रकार की शारीरिक व्याधि होने का समय-समय पर निरीक्षण दर्ज किया जा चुका है। पीठ दर्द, स्नायु जकड़ना, रीढ़ की हड्डी, गर्दन का दर्द, फेफड़ों की क्रयशक्ति कम होना, सिरदर्द, मानसिक तनाव आदि समस्या का खतरा बना हुआ था। बस्ते का बोझ करने की मांग पर बरसों से विविध सामाजिक संस्था, संगठनों ने आवाज उठाई थी। उसका संज्ञान लेकर सरकार ने बस्ते का बोझ कम करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं।
 

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