नौ साल तक शारीरिक संबध नहीं बने तो विवाह समाप्त - बांबे हाईकोर्ट 

नौ साल तक शारीरिक संबध नहीं बने तो विवाह समाप्त - बांबे हाईकोर्ट 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-30 14:06 GMT
नौ साल तक शारीरिक संबध नहीं बने तो विवाह समाप्त - बांबे हाईकोर्ट 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दंपति के बीच नौ वर्षों तक शारीरिक संबंध न होने को आधार बनाते हुए बांबे हाईकोर्ट ने एक दंपति के विवाह को समाप्त कर दिया है। महिला ने दावा किया था कि उसके पति ने उससे धोखे से शादी की है। इसके लिए उसने कोरे दस्तावेजों पर मेरे हस्ताक्षर लिए थे। जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा कि हमारे सामने मामले में धोखाधड़ी को लेकर कोई प्रमाण नहीं है लेकिन शादी करनेवाले दंपति ने ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया है जो दर्शाए की शादी की नौ वर्ष की अवधि के दौरान उन्होंने सहवास किया हो। पति-पत्नी का सहवास विवाह के प्रमुख उद्देश्यों में से एक होता है। इस मामले में इस उद्देश्य की पूर्ति का अभाव नजर आता है। जो विवाह को अर्थहीन बनाता है। 

एक दिन भी साथ में नहीं रहे 
इस मामले में पति-पत्नी एक दिन भी साथ में नहीं रहे हैं। साथ ही पति ने ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं पेश किया है कि उसका उसकी पत्नी के साथ सहवास हुआ है। हालांकि पति ने अदालत में दावा किया था कि उसने अपने पत्नी के साथ संबंध बनाए थे और वह गर्भवति भी हुई थी।  लेकिन जस्टिस ने कहा कि पति ने अपने दावे को लेकर को लेकर कोई भी चिकित्सकिय सबूत नहीं पेश किया है। ऐसी स्थिति में पत्नी का दावा सही लगता है कि उसका उसके पति के साथ एक बार शारीरक संबंध नहीं बने है।

जस्टिस ने कहा कि हमने अपनी तरफ से पति-पत्नी को अपने मतभेद सुलझाने का सुझाव दिया था लेकिन दोनों के मतभेद दूर नहीं हुए। दोनों के संबंध न सिर्फ खराब हैं बल्कि दोनों एक दूसरे के प्रति हिंसक भी हैं। यहीं नहीं दोनों एक दूसरे पर जीवन के नौ साल बर्बाद करने का आरोप भी लगा रहे हैं। यह स्थिति इस दंपति के आने वाले समय को भी खराब करेगी। कानून के तहत यदि पति-पत्नी के बीच सहवास नहीं हो रहा है तो वह विवाह समाप्त करने का आधार हो सकता है। 

2009 में हुआ था विवाह 
मामले से जुड़े दंपति का 2009 में विवाह हुआ था। महिला ने दावा किया था कि उसके पति ने उससे कोरे दस्तावेजो पर हस्ताक्षर लिए थे। और वह उसे रजिस्ट्रार के पास ले गया था। लेकिन उसे इसका अभास नहीं हुआ था कि वह शादी के पंजीयन से जुड़े दस्तावेज हैं। जब उसे शादी के बारे में जानकारी हुई तो उसने विवाह समाप्त करने के लिए निचली अदालत में आवेदन दायर किया। निचली अदालत ने महिला के दावे को स्वीकार कर लिया और विवाह को समाप्त कर दिया।

पति ने इस आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की सत्र न्यायालय ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसे महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस ने विवाह को समाप्त कर दिया लेकिन महिला के धोखाधड़ी के दावे को अस्वीकार कर दिया। जस्टिस ने कहा कि महिला पढी लिखी और स्नातक है। ऐसे में इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता है कि दस्तावेज में उसके हस्ताक्षर धोखे से लिए गए हैं।  
 

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