दलित उत्पीड़न कानून लागू करने बनी समिति, तागडे की अध्यक्षता वाली समिति में 13 लोग शामिल

दलित उत्पीड़न कानून लागू करने बनी समिति, तागडे की अध्यक्षता वाली समिति में 13 लोग शामिल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-30 14:18 GMT
दलित उत्पीड़न कानून लागू करने बनी समिति, तागडे की अध्यक्षता वाली समिति में 13 लोग शामिल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में दलित उत्पीड़न विरोधी कानून (एट्रासिटी) में सुधार को लेकर चल रही बहस और विवाद के बीच एक समिति बनाई गई है। इस समिति को यह तय करना है कि मूल रूप से यह कानून लागू करने की जिम्मेदारी किस विभाग की होगी। अल्पसंख्यक विभाग के प्रधान सचिव श्याम तागडे ने यह जानकारी दी। तागडे ही बनाई गई समिति के भी प्रमुख हैं। राज्य में अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार प्रतिबंधक कानून को काफी व्यापक बनाया गया है। इस कानून के तहत इस वर्ग के लोगों के सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार को भी संरक्षण दिया गया है। लेकिन एक गलतफहमी फैलाई जाती है कि इसका उपयोग सिर्फ दलित विरोधी घटकों के लिए किया जाता है।

यह  कानून किसी पर अन्याय के लिए नहीं बल्कि दलित वर्ग के शोषितों और वंचितों के लिए बना है जिससे जाने अनजाने कोई उनका अपमान न करे। इस कानून के तहत दलित समाज के पीड़ितों को दूसरे तरीकों से भी मदद की प्रावधान है। अगर किसी व्यक्ति का घर जल जाए तो उन्हें आर्थिक मदद और घर के बर्तन आदि भी दिया जाता है। कुछ मामलों में पीड़ितों को नौकरी और जमीन भी दी जाती है।  इस मामले में एकरूपता लाने के लिए जरूरत है इसी लिए जवाबदेही निश्चित करने के लिए तागडे की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है।

समिति में 13 लोग शामिल 
समिति के कुल 13 सदस्यों में सामाजिक न्याय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का भी समावेश है। समिति एक योजना तैयार करेगी जिसके मुताबिक कानून के तहत मिलने वाली सहूलियतें और मदद दी जाएगी। इसके लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों की स्वयंसेवी संस्थाओं से भी राय मांगी जाएगी। इसके अलावा दूसरे राज्यों ने इसमें किन मुद्दों को शामिल किया है इसका भी अध्ययन किया जाएगा। तागडे के मुताबिक समिति के काम मुख्य रुप से यह सुनिश्चित करना है कि कानून के प्रावधानों को लागू करने की जिम्मेदारी किस विभाग पर होगा। यह तय होने के बाद पीड़ितों को विभिन्न सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

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