HC का सवाल - कोचिंग क्लास संचालकों पर लगाम कसने कानून बनाने के इच्छुक है सरकार?
HC का सवाल - कोचिंग क्लास संचालकों पर लगाम कसने कानून बनाने के इच्छुक है सरकार?
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि क्या वह कोचिंग क्लासेस की गतिविधियों के नियमन के लिए जरुरी कानून बनाने की इच्छुक है। ताकि कोचिंग क्लास के शोषण से लोगों को बचाया जा सके। हाईकोर्ट ने सरकार को 9 अगस्त तक इस संबंध में जवाब देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही सरकारी वकील को आश्वस्त करने को कहा है कि अगली सुनवाई के दौरान स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव कोर्ट में उपस्थित रहे। जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने फोरम फार फेयर इन एजुकेशन नामक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।
इससे पहले याचिकाकर्ता भगवानजी रयानी ने कहा कि कोचिंग क्लासेस के नाम पर बड़ा व्यावसायिक कारोबार चल रहा है और बड़ा मुनाफा कमाया जा रहा है। सरकारी, अनुदानित व अन्य कालेजों के शिक्षक अपना ज्यादा समय अपने शैक्षणिक संस्थान को देने की बजाय कोचिंग क्लासे में पढ़ने वालों बच्चों को प्रशिक्षित करने में लगे रहते हैं। श्री रयानी ने कहा कि वे 1999 से इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन अब तक इसका निराकरण नहीं किया गया है। कोचिंग क्लासेस मनमाने तरीके से चल रहे हैं।
इससे पहले सरकारी वकील ने बेंच को बताया कि कोचिंग क्लास के नियमन व नियंत्रण के लिए एक अध्यादेश लाया गया था, जिसे कानूनी जामा नहीं पहनाया जा सका। सरकार ने इस विषय पर शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। मामले से जुड़े तथ्यों व सहायक सरकारी वकील की दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि क्या राज्य सरकार कोचिंग क्लासेस की गतिविधियों के नियमन के लिए कानून बनाने की इच्छुक है? ताकि कोचिंग क्लासेस के शोषण से प्रभावित होनेवाले लोगों को बचाया जा सके।
बेंच ने कहा कि सरकारी वकील सुनिश्चित करें कि अगली सुनवाई के दौरान स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव कोर्ट में उपस्थित रहेंगे। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद इस विषय पर व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार करेंगे।