एनडीसीसी बैंक घोटाला : केदार व अन्य के खिलाफ जालसाजी और षड्यंत्र रचने के आरोप
एनडीसीसी बैंक घोटाला : केदार व अन्य के खिलाफ जालसाजी और षड्यंत्र रचने के आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ट्रायल कोर्ट में गुरुवार को एनडीसीसी बैंक घोटाले में सुनवाई हुई। अतिरिक्त सीजेएम एस.आर.तोतला ने आरोपी विधायक सुनील केदार, अशोक चौधरी, केतन सेठ, महेंद्र अग्रवाल, श्रीप्रकाश पोद्दार, अमित वर्मा, सुबोध भंडारी, नंदकिशोर त्रिवेदी और सुरेश पेशकर के खिलाफ लगे आरोपों का विवरण उन्हें सौंपा। आरोपियों के खिलाफ भादवि 406, 409, 120-बी, 468, 471 और 34 के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं। अब कोर्ट ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर को रखी है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने प्रकरण के डे टू डे ट्रायल के लिए 2 दिसंबर की तारीख तय कर रखी है। आरोपियों की ओर से एड.राज अहुजा, एड.गिरीश पुरोहित और एड.अशोक भांगडे ने पक्ष रखा।
यह है मामला
पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार, विशेष लेखा परीक्षक विश्वनाथ असवरे ने बैंक का ऑडिट करके 29 अप्रैल 2002 में गणेशपेठ पुलिस थाने मंे शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद बैंक के पूर्व अध्यक्ष सुनील केदार, महाव्यवस्थापक अशोक चौधरी और अन्य पर धारा 406, 409, 468, 12-ब, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था, लेकिन मामले में ट्रायल मंे अत्याधिक देरी हो रही थी। इस मुद्दे को हाईकोर्ट जनहित याचिका के रूप में सुनने का निर्णय लिया है। वहीं निचली अदालत में इस प्रकरण की सुनवाई के लिए समर्पित न्यायालय भी गठित किया।
अर्जी खारिज हुई थी
11 नवंबर को निचली अदालत में हुई सुनवाई में कुछ आरोपियों ने अर्जी लगाई थी कि उन्हें इस प्रकरण की अधूरी चार्जशीट दी गई है, अपना पक्ष रखने के लिए उन्हें पूर्ण चार्जशीट दी जाए। लेकिन सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने माना था कि आरोपियों को पहले ही जरूरी दस्तावेज और चार्जशीट दी जा चुकी है। ऐसे में उन्हें अन्य किसी चार्जशीट देने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने आरोपियों की अर्जी खारिज कर दी थी। गुरुवार को हुई सुनवाई में आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किए गए हैं।
फडणवीस के खिलाफ दायर याचिका खारिज
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक मामले में राहत दी है। फडणवीस के खिलाफ दायर एड.सतीश उके द्वारा दायर याचिका काे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में नामांकन भरते वक्त फडणवीस ने दो आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी, अधिवक्ता सतीश उके ने यह मुद्दा विविध स्तरों पर उठाया। उन्होंने उस वक्त निर्वाचन अधिकारी को शिकायत की थी कि आपराधिक मामलों की जानकारी न देने के कारण फडणवीस पर भादवि धारा 181, 182, 199, 200 और जन प्रतिनिधि अधिनियम धारा 125-ए के तहत मामला बनता है।
उस वक्त निर्वाचन अधिकारी ने उके की शिकायत पर फडणवीस को नोटिस जारी किया, लेकिन इससे आगे कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में उके ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निर्वाचन अधिकारी को उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने के आदेश जारी करने की प्रार्थना की थी। निर्वाचन अधिकारी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुबोध धर्माधिकारी और एड.नीरजा चौबे ने कोर्ट में दलील दी कि उन्हें इस प्रकार की शिकायत पर निर्णय लेने के अधिकार नहीं है। ऐसे में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तथ्यों के आधार पर एड.उके की अर्जी खारिज कर दी।