सायबर क्राईम में पहले नंबर पर मुंबई, 97 मामलों के साथ नागपुर का आठवां नंबर  

सायबर क्राईम में पहले नंबर पर मुंबई, 97 मामलों के साथ नागपुर का आठवां नंबर  

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-01 13:56 GMT
सायबर क्राईम में पहले नंबर पर मुंबई, 97 मामलों के साथ नागपुर का आठवां नंबर  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। साइबर अपराधों के सबसे ज्यादा मामले मुंबई महानगर में सामने आ रहे हैं। राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में मुंबई में साइबर अपराध के 980 मामले सामने आए। जबकि 2017 में 31 अक्टूबर तक मुंबई महानगर में 1095 मामले दर्ज हो चुके हैं। वहीं 97 मामलों के साथ नागपुर आठवें नंबर पर है। राज्यों की बात करें तो यहां भी साइबर अपराध के 2380 मामलों के साथ महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है।

19 शहरों में साइबर अपराध के कुल 4172 मामले

बीस लाख से ज्यादा आबादी वाले 19 शहरों में साइबर अपराध के कुल 4172 मामले दर्ज किए गए। हालांकि इसमें साल 2015 के मुकाबले गिरावट आई जब साइबर अपराध के 4561 मामले सामने आए थे। हालांकि मुंबई में होने वाले साइबर अपराध में ज्यादा बदलाव नहीं आया। महानगर में साल 2015 में साइबर अपराध के 979 मामले दर्ज किए गए थे जबकि साल 2016 में इनकी संख्या 980 रही। लेकिन साल 2015 में 1042 मामलों के साथ अव्वल रहे बंगलुरू की स्थिति काफी सुधरी और साल 2016 में यहां साइबर क्राइम के मामले घटकर 762 तक पहुंच गए। 

निपटारे में पीछे है पुलिस

मुंबई में साइबर अपराध के जो मामले दर्ज किए गए हैं उनमें से 649 गैरकानूनी फायदा हासिल करने के लिए, 207 महिला का वियनभंग करने, 39 यौन उत्पीड़न जबकि 12 ब्लैकमेलिंग और वसूली के लिए किए गए। साइबर अपराधों के मामले में जांच अधिकारियों की सुस्ती भी मददगार साबित हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में 1908 मामलों की जांच मुंबई पुलिस के पास लंबित थी। इस दौरान पुलिस सिर्फ 322 मामलों का निपटारा कर पाई। 

खुद पुलिसवालों के अकाउंट हुए हैक

साइबर क्राइम और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ प्रशांत माली का कहना है कि साइबर अपराधों की खराब जांच और सजा की दर कम होने का असर डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों पर पड़ेगा। हर पुलिस स्टेशन में दो साइबर विशेषज्ञ या एक पुलिस अधिकारी ऐसा होना चाहिए, जो सिर्फ साइबर अपराधों से जुड़े मामले देखे। आम आदमी ही नहीं खुद पुलिसवालों के अकाउंट हैक होने के कई मामले सामने आए हैं। इससे पता चलता है कि साइबर जागरूकता की कितनी कमी है।

                                               
                                 

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