44 साल बाद बंद होगी डिब्बा वालों की सेवा, सीईटी परीक्षा भी टली
44 साल बाद बंद होगी डिब्बा वालों की सेवा, सीईटी परीक्षा भी टली
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते मुंबई के डिब्बे वालों ने शुक्रवार से दफ्तरों में खाने का डिब्बा पहुंचाने की अपनी सेवा बंद करने का फैसला लिया है। ऐसा 44 साल बाद होगा जब मुंबई के डिब्ब वाले अपनी मुंबईकरों को अपनी सेवाएं नहीं देंगे। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के कारण मुंबई के डिब्बे वाले 20 मार्च से नौकरीपेशा लोगों के दफ्तरों में भोजन नहीं पहुंचाएंगे। डिब्बे वालों की टिफिन सेवा 31 मार्च तक बंद रहेगी। इसके बाद 1 अप्रैल से टिफिन सेवा नियमित शुरू कर दी जाएगी। गुरुवार को मुंबई डिब्बेवाला एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष तलेकर ने यह जानकारी दी। ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में तलेकर ने कहा कि मुंबई में विपरित परिस्थितियों में टिफिन सेवा शुरू रहती है लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के कारण टिफिन सेवा बंद करनी पड़ रही है। हाल के वर्षों में पहली बार यह स्थिति आई है।
जार्ज फर्नाडिंस के रेल रोको आंदोलन के वक्त हुआ था ब्रेक
तलेकर ने कहा कि मेरे पिता गंगाराम तलेकर जो कि डिब्बे वालों के संगठन के महासचिव थे, वे बताया करते थे कि साल 1974 में मजदूर नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने मुंबई में रेल रोको आंदोलन किया था। उस आंदोलन के कारण लोकल ट्रेन सेवाएं ठप्प हो गई थी। इस वजह से तब डिब्बे वालों ने 12 से 15 दिन तक के लिए टिफिन सेवा बंद रखी थी। क्योंकि लोकल ट्रेन बंद होने के कारण टिफिन पहुंचाना संभव नहीं था। तलेकर ने कहा कि अभी लोकल ट्रेने शुरू हैं लेकिन राज्य सरकार ने भीड़ कम करने का आह्वान किया है। लेकिन अब कोरोना के कारण डिब्बे वालों ने सेवाएं बंद करने का फैसला किया है। तलेकर ने कहा कि कोरोना वायरस का असर टिफिन सेवाओं पर पड़ा है। मुंबई में एक डिब्बा वाला करीब 30 टिफिन पहुंचाते हैं लेकिन कोरोना वायरस के प्रभाव के बाद निजी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दी है। इससे हर डिब्बे वालों से टिफिन सेवा लेने वालों की संख्या घटकर 10 तक पहुंच गई है। तलेकर ने कहा कि टिफिन सेवा बंद करने से हमारा आर्थिक नुकसान नहीं होना चाहिए। क्योंकि हमने टिफिन मालिकों से आग्रह किया है कि बंद के दिनों का भी पैसा दिया जाए।
प्रतिदिन 2 लाख लोगों को पहुंचाते हैं उनके घर का खाना
मुंबई महानगर क्षेत्र में लगभग 5 हजार डिब्बे वाले प्रतिदिन करीब 2 लाख लोगों के दफ्तरों में उनके खाने का टिफिन पहुंचाने का काम करते हैं। डिब्बा वाला 128 साल पुरानी संस्था है। इसकी शुरुआत सन् 1890 में महादेव हावाजी बच्चे नाम के शख्स ने की थी। तब वे लगभग 100 लोगों के घर साइकिल से टिफिन पहुंचाते थे।
साल 1930 में महादेव ने डिब्बावालों को ऑर्गेनाइज करने के लिए एक यूनियन की शुरुआत की। 1956 में नूतन मुंबई टिफिन बॉक्स सप्लायर्स नाम से एक चैरिटेबल ट्रस्ट रजिस्टर की गई। लगभग 12 साल बाद 1968 में ट्रस्ट की कमर्शियल विंग बनाई गई, जिसका नाम था मुंबई टिफन बॉक्स सप्लायर्स एसोसिएशन। मुंबई के डिब्बे वाले तब चर्चा में आए जब ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स मुंबई के दौरे के वक्त डिब्बे वालों से मुलाकात कर उनकी कार्य प्रणाली की प्रशंसा की थी। प्रिंस चार्ल्स ने मुंबई डिब्बा वालों के दो प्रतिनिधियों को अपनी विवाह समारोह में भी आमंत्रित किया था। डिब्बा वाले भारत में ब्रिटिश राज से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सबसे पहले एक अंग्रेज (ब्रिटिश व्यक्ति) को दोपहर के खाने के लिए डिब्बा सप्लाई करना शुरू किया गया और धीरे धीरे इस काम ने बड़ा रूप ले लिया।
सीईटी परीक्षा भी टाली गई
कोरोना वायरस के कारण महाराष्ट्र स्टेट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की ओर से 28 मार्च को ली जाने वाली एमसीए (मास्टर इन कंप्यूटर एप्लिकेशन) सीईटी की परीक्षा टाल दी गई है। एमसीए-सीईटी की परीक्षा अब 30 अप्रैल को होगी। गुरुवार को प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने सीईटी सेल के अफसरों के साथ बैठक की। सामंत ने कहा कि सीईटी परीक्षा के समय परीक्षा केंद्रों पर बड़े पैमाने पर भीड़ हो सकती है। इसके मद्देनजर परीक्षा टाल दी गई है। लेकिन विद्यार्थियों का इससे शैक्षणिक नुकसान नहीं होगा। सामंत ने कहा कि अप्रैल महीने में होने वाली सीईटी परीक्षा के संबंध में 31 मार्च को राज्य में कोरोना की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद सीईटी परीक्षा की समय सारिणी घोषित की जाएगी। इसलिए विद्यार्थियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
कोरोना संकट