बच्चे की चाहत में मां की हत्या, प्रेमी युगल समेत 7 गिरफ्तार
सतना बच्चे की चाहत में मां की हत्या, प्रेमी युगल समेत 7 गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, सतना। कोलगवां थाना अंतर्गत नईबस्ती के बंद कमरे में मिली लाश की गुत्थी 48 घंटे के अंदर सुलझाते हुए पुलिस ने प्रेमी युगल समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। एसपी धर्मवीर सिंह ने बताया कि 13 मार्च की सुबह हनुमान नगर में संजय गुप्ता के मकान से दुर्गंध आने पर जब ताला तोड़ा गया तो अंदर के कमरे में युवती की क्षत-विक्षत लाश मिली थी, जिसकी पहचान के लिए तुरंत प्रयास शुरू किए गए, तो सिटी कोतवाली क्षेत्र के राजेन्द्र नगर गली नम्बर-13 निवासी अविनाश चौधरी की पत्नी केशनी 22 वर्ष, के लापता होने की बात सामने आई, तो परिजनों को बुलाकर शव दिखाया गया, जिस पर उन्होंने पहचान कर बताया कि केशनी शादी-पार्टियों में काम करती थी, 2 मार्च को भी किसी काम के लिए 4 माह के बेटे अभिराज को लेकर निकली थी, तब से वापस नहीं आई। कई दिन तलाश करने के बाद 11 मार्च को सास सियाबाई ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
सिमकार्ड से मिला पहला सुराग —-
मृतिका की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और पोस्टमार्टम के दौरान उसके कपड़ों से मिले सिमकार्ड की सीडीआर निकाली, तो अंतिम बार गौरव सिंह पुत्र विष्णु सिंह सिसोदिया 23 वर्ष, निवासी महुआ बस्ती, से अंतिम बार 5 मार्च को बात होने का सुराग मिला, लिहाजा तेजी से तलाश की गई और प्रयागराज के एक ईंट भट्ठे से गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो आरोपी ने जुर्म स्वीकार कर वारदात का काला चिट्ठा खोल दिया।
प्रेमिका के कहने पर रची साजिश —-
आरोपी ने पुलिस को बताया कि लगभग 6 माह पूर्व फेसबुक के जरिए शहडोल निवासी सुधा पति स्वर्गीय राजभान गोले 24 वर्ष, से जान-पहचान हुई थी, जो पति की मौत के बाद मायके में रह रही थी। धीरे-धीरे उनके बीच प्रेम हो गया और बात शादी तक पहुंच गई। इसी बीच सुधा ने बड़ी बहन अर्चना पति बृजेश गोले 26 वर्ष, निवासी रीवा, के लिए एक नवजात बच्चा दिलाने की चर्चा छेड़ दी, जिसकी पहले से 2 बेटियां थीं और नसबंदी का ऑपरेशन भी करा चुकी थी, मगर ससुराल वाले बेटे के लिए दबाव बना रहे थे। ऐसे में ऑपरेशन भी खुलवाया, लेकिन गर्भ ठहरने के कुछ माह बाद गिर गया। प्रेमिका के दबाव में युवक ने नईबस्ती थाना कोलगवां निवासी उमेश पुत्र गिरधारीलाल शर्मा 40 वर्ष, से सम्पर्क किया, जो पूर्व में दो परिवारों को बच्चा दिला चुका था। उमेश ने 30 हजार में काम करने का आश्वासन देकर प्लानिंग के तहत अर्चना को जिला अस्पताल सतना में भर्ती कराने के लिए कहा। तब गौरव ने अपने दोस्त विष्णु प्रताप पुत्र रामकुमार सोलंकी 20 वर्ष, निवासी चौरसिया मोहल्ला रामनगर, लवकुश पुत्र भूपेन्द्र बेल्दार 19 वर्ष और सतीश उर्फ सनी पुत्र राजेश बेल्दार 19 वर्ष, निवासी नागौद को बुलाकर संजय गुप्ता का मकान किराये पर लिया। यहीं पर उसने पहचान के लिए आधार कार्ड की फोटोकॉपी भी दी थी।
तब लगाया आखिरी दांव —-
तमाम कोशिशों के बाद भी उमेश बच्चा नहीं ला पाया, उधर सुधा लगातार गौरव पर दबाव बना रही थी। ऐसे में उसे शादी पार्टियों में साथ काम करने वाली केशनी चौधरी का ध्यान आया, जिसका छोटा बच्चा था। ऐसे में आरोपी ने 4 मार्च को बात की और काम दिलाने के बहाने 5 तारीख को फोन कर बस स्टैंड बुलाया एवं सुधा के साथ वहां जाकर मां-बेटे को किराये के मकान में ले गया, उधर इसी दिन उमेश ने अपनी एक परिचित महिला के माध्यम से अर्चना को बीमार बताकर जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। नईबस्ती पहुंचते ही चाय में नींद की 19 गोलियां घोलकर पिला दिया, जिससे केशनी बेहोश हो गई। तब गौरव और उसके साथियों ने गला घोटकर हत्या करने के बाद युवती की लाश को अंदर के कमरे में फेंक दिया और बच्चा लेकर सुधा एवं लवकुश को सनी की बाइक से बस स्टैंड भेज दिया, जहां अस्पताल से भागकर अर्चना भी पहुंच गई और दोनों के साथ तुरंत रीवा रवाना हो गई, मगर ससुराल वालों ने यह कहकर बच्चे को स्वीकार नहीं किया कि अर्चना किसी और का बच्चा लाई है, जिसका जन्म कई महीने पहले हुआ है।
कटनी में बच्चे को छोड़ा लावारिस —-
ससुराल से दुत्कारे जाने पर दोनों बहनें ट्रेन से कटनी चली गईं, जहां बच्चे को स्टेशन पर लावारिस छोड़ दिया, बाद में मासूम को किसी ने बाल कल्याण समिति की मदद से शिशु गृह पहुंचा दिया। सनसनीखेज घटना को अंजाम देने के पश्चात गौरव प्रयागराज, उमेश रामनगर, सतीश व लवकुश नागौद तथा दोनों बहनें शहडोल भाग गई थीं। बच्चे की व्यवस्था करने के लिए उन्होंने गौरव को 1 लाख 2 हजार, जबकि उमेश को 7 हजार रुपए दिए थे। जिन्हें अलग-अलग टीमें भेजकर गिरफ्तार किया गया है। इस वारदात का खुलासा करने के लिए पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने 10 हजार का इनाम घोषित किया था। इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 201, 363, और 120बी का अपराध दर्ज किया गया था।
चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़े उमेश के तार —-
एसपी ने बताया कि उमेश शर्मा बेहद शातिर है, जिसने पूर्व में भी 2 परिवारों को बच्चे दिलवाए थे। पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि रीवा के अस्पताल में प्रसव के दौरान प्रसूताओं का निधन हो जाने से उनके परिवारों ने बच्चों को अपनाने से इंकार कर दिया था, जिस पर एक बच्चे को गुजरात और दूसरे को महुआ बस्ती में ही संतानहीन दम्पतियों को गोद दिला दिया था, मगर प्रारंभिक जांच में बच्चों को गोद लेने की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने की बजाय सिर्फ स्टाम्प पेपर पर लिखा-पढ़ी की गई। ऐसे में उमेश के चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट से जुड़े होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
इस टीम को मिली सफलता —-
अंधे हत्या और बच्चे के अपहरण की वारदात को सुलझाने में टीआई डीपी सिंह चौहान, एसआई केएन मिश्रा, नेहा ठाकुर, शैलेन्द्र पटेल, विजय त्रिपाठी, प्रधान आरक्षक बृजेश सिंह, वाजिद खान, रमाकांत तिवारी, अंकित बघेल, आरक्षक कमलाकर सिंह, दिलीप द्विवेदी, विपिन सोधिया, उपेश पाठक, अनिल द्विवेदी, सैनिक ओमप्रकाश द्विवेदी, साइबर सेल प्रभारी अजीत सिंह, एएसआई दीपेश पटेल, जसो थाना प्रभारी पवनराज, सिंहपुर थाना प्रभारी संदीप चतुर्वेदी, धारकुंडी थाना प्रभारी आशीष धुर्वे, आरक्षक धर्मेन्द्र, अर्पित, कमलेश, महीप तिवारी, पूर्णेश पांडेय और एफएसएल टीम के मुकेश यादव ने अहम भूमिका निभाई।