हैवानों से ‘पॉक्सो’ भी पस्त , दो वर्ष में दुष्कर्म के 300 से अधिक मामले
हैवानों से ‘पॉक्सो’ भी पस्त , दो वर्ष में दुष्कर्म के 300 से अधिक मामले
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बेटियां पढ़ना चाहती हैं, पढ़-लिख कर आगे बढ़ना चाहती हैं, परिजन भी उन्हें पढ़ाना चाहते हैं, उनका भविष्य संवारना चाहते हैं, पर एक अनजान सा डर रहता है। हर पल चिंता बनी रहती है। यह चिंता बेटी के घर से निकलते ही शुरू हो जाती है और तब तक बनी रहती है, जब तक बेटी घर नहीं पहुंच जाती है। सबसे बड़ी विकृति 16 दिसम्बर 2012 की घटना थी, जो निर्भया से जुड़ी थी। निर्भया, कठुवा और मुम्बई के शक्तिमिल के अलावा हैदराबाद में महिला चिकित्सक के साथ हैवानियत जैसी अनगिनत घटनाएं दहशत पैदा करती हैं, क्योंकि ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, संतरानगरी में गत दो वर्ष में दुष्कर्म के 300 से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें वर्ष 2018 में 155 और वर्ष 2019 में 150 मामले (नवंबर माह तक) दर्ज हुए हैं।
क्या है पॉक्सो एक्ट
पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO)-2012; को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था। वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
अपनों की करतूत भी शर्मसार करने वाली
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिदिन लगभग 50 दुष्कर्म के मामले थानों में दर्ज होते हैं। बहुत सारे मामले ऐसे हैं, जिनकी रिपोर्ट ही नहीं हो पाती। शहर के दुष्कर्म के मामलों की जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऐसे अधिकतर मामलों में आरोपी को पीड़िता के बारे में जानकारी होती है। अधिकारियों की मानें तो इनमें से अधिकांश मामले बेहद तकनीकी होते हैं। अक्सर ऐसे अपराध दोस्तों या रिश्तेदारों द्वारा किए जाते हैं, जो पीड़िता को झूठे वादे कर बहलाते हैं, फिर गलत काम करते हैं। कई बार ऐसे अपराध अज्ञात लोग करते हैं और पुलिस की पहुंच से आसानी से बच निकलते हैं।
नियम तो सख्त हैं, पर
वर्ष 2012 में दिल्ली के चर्चित निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के बाद आईपीसी और सीआरपीसी की धारा में तमाम बदलाव किए गए, और इसके तहत सख्त कानून बनाए गए। कई नए कानूनी प्रावधान भी शामिल किए गए, लेकिन इतनी सख्ती और इतने आक्रोश के बावजूद यह मामले नहीं रुक रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर एक घंटे में 4 दुष्कर्म, यानी लगभग हर 14 मिनट में 1 दुष्कर्म की घटना हो रही है।
कई मामले अभी भी उजागर नहीं
सूत्रों के अनुसार, उपराजधानी में कम उम्र की लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें और पॉक्सो जैसे अापराधिक मामले बढ़ रहे हैं, इसका प्रमाण करीब 30 प्रतिशत है। दुष्कर्म के करीब 60 फीसदी मामले न्यायालय में लंबित हैं। कुछ मामले में पुलिस की धीमी गति से जांच किया जाना भी कारण माना जाता रहा है। वर्ष 2018 में दुष्कर्म के 155 मामले में तीन प्रकरणों के आरोपियों का सुराग नहीं पता चल पाया है। वर्ष 2019 में भी 150 प्रकरणों में से 2 मामले अभी भी उजागर नहीं हो पाए हैं। पुलिस का कहना है कf पीड़िताओं की पहचान उजागर न हो, इसलिए थानों का जिक्र करने से भी वह मना कर देते हैं।