जल्दी आ रहीं हैं इस बार मानसून पूर्व बौछारें
जल्दी आ रहीं हैं इस बार मानसून पूर्व बौछारें
अतुल मोदी , नागपुर । वैसे तो इस साल विदर्भ में औसत के आस-पास मानसून बरसने के आसार हैं, लेकिन नागपुर जिले में बारिश कुछ कम ही रहेगी। विदर्भ का औसत पूरा करने का भार चंद्रपुर, गड़चिरोली, अकोला, वर्धा तथा ब्रह्मपुरी के कंधों पर ही रहेगा। यहां करीब 110 प्रतिशत मानसून के आसार हैं। मानसून-पूर्व बौछारें जल्दी ही आ रही हैं। मानसून भी तय तिथि 10 जून के आस-पास ही विदर्भ के द्वार पर होगा। इससे नागपुर जिले को गर्मी से राहत तो मिल जाएगी, लेकिन किसानी में कुछ परेशानी हो सकती है।
जल्द जाएगा भी मानसून
मौसम विज्ञानियों की मानें तो नागपुर जिला औसत मानसूनी बरसात में पिछड़ सकता है। मौसमी गतिविधियों के आधार पर अनुमान है कि नागपुर जिलेे में मानसून 70 से 75 प्रतिशत के बीच ही रहेगा। इस बार मानसून के जल्दी आने और जल्दी ही सिमटने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में जिले के गावों किसानों को सवधानी से ही कृषि कार्य करना होगा। मौसम जानकारों के अनुसार, उपराजधानी तथा इसके आस-पास गर्मी और लू का प्रभाव तो खासा रहा।
ग्रीष्मकाल का अधिकांश समय तापमान औसत से ऊपर ही बना रहा, लेकिन दिन का पारा 45 डिग्री या इससे ऊपर पूरे सत्र में एक-दो बार ही पहुंच पाया है। सामान्यत: 47 डिग्री सेल्सियस के आस-पास पारा पहुंचे तो माना जाता है कि मानसून खुल कर बरसेगा। इस बार उपराजधानी में तापमान ने 47 डिग्री तो छोड़िए 46 डिग्री का आंकड़ा भी नहीं छुआ। असल में ऊपरी सतह जितनी गर्म होगी, कम दबाव का क्षेत्र उतने अच्छे से बनेगा। पिछले दस वर्षा में अधिकांश बार उपराजधानी का तापमान 47 डिग्री के पार पहुंचा है।
चंद्रपुर, गड़चिरोली करेंगे औसत की भरपाई
अनुमान है कि विदर्भ में औसत बरसात रहेगी। इसकी अधिकांश भरपाई दक्षिण पूर्व विदर्भ के जिले चंद्रपुर, गड़चिरोली जिले के साथ साथ गांेदिया भी कुछ हद तक करेगा। वाशिम व बुलढाणा जिलों में वैसे भी वर्षा कम होती है। भरपूर न तपने के कारण नागपुर के साथ-साथ यवतमाल व भंडारा में भी सामान्य से कम वर्षा की उम्मीद है, जबकि चंद्रपुर, ब्रह्मपुरी व गड़चिरोली में पारा जमकर तपा है। शुक्रवार को चंद्रपुर का तापमान विश्व में चौथे तथा ब्रह्मपुरी का तापमान पांचवें स्थान पर था। वैसे भी भौगोलिक दृष्टि से तथा चंद्रपुर व इसके आस-पास कोयले के भंडार होने से तापमान अधिक ही रहता है।
मानसून पूर्व बारिश
एक से डेढ़ सप्ताह में मानसून पूर्व की फुहारें विदर्भ को राहत देने पहुंच सकती हैं। मौसम जानकारों का मानना है कि इस बार वर्षा तो अच्छी है, लेकिन मानसून सत्र कुछ छोटा हो सकता है। प्रशांत महासागर में सतही तापमान पिछले 5 सप्ताहों से लगातार ऊपर की ओर चढ़ रहा है। इससे अल-नीनो का प्रभाव निष्क्रिय हो रहा है। चक्रवाती चक्रों का निर्माण होने लगा है और ये सक्रिय भी हो रहे हैं। इससे अनुमान है कि मानसून केरल तट पर तय तिथि 1 जून के पहले ही दस्तक दे सकता है। विदर्भ की अाधिकारिक मानसून तिथि 10 जून तक इसके विदर्भ तक पहुंच जाने की तीव्र संभावना है, लेकिन मानसून पूर्व की बरसात 22 मई के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।