बगावत की राह पर भाजपा विधायक देशमुख, बोले- विदर्भ का अलग राज्य बने नहीं होगा विकास

बगावत की राह पर भाजपा विधायक देशमुख, बोले- विदर्भ का अलग राज्य बने नहीं होगा विकास

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-11 14:07 GMT
बगावत की राह पर भाजपा विधायक देशमुख, बोले- विदर्भ का अलग राज्य बने नहीं होगा विकास

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बगावती तेवर अपनाए हुए नागपुर जिले की काटोल सीट से भाजपा विधायक डॉ. आशीष देशमुख ने दावा किया कि विदर्भ में भी पार्टी का वही हाल होगा जो गुजरात के ग्रामीण इलाकों में हुआ है। उन्होंने कहा कि लाख कोशिशों के बाद भी फडणवीस सरकार विदर्भ का विकास नहीं कर पा रही है। इससे साफ है कि अलग राज्य ही विदर्भ की समस्याओं का हल है। गुरूवार को देशमुख ने कहा कि उन्होंने विदर्भ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों से अब तक जितनी बातचीत की है, उससे साफ है कि लोगों में पार्टी के प्रति भारी नाराजगी है। खासकर ग्रामीण इलाकों में वहीं स्थिति है जो गुजरात में थी। उन्होंने कहा कि विदर्भ के किसान और युवा दोनों सरकार से नाराज हैं। पार्टी छोटे राज्यों की समर्थक है। दिल्ली और महाराष्ट्र में भाजपा सत्ता में है ऐसे में अब अलग विदर्भ राज्य बनाने का वादा पूरा किया जाना चाहिए। 

62 विस क्षेत्रों से गुजरेगी आत्मबल यात्रा

देशमुख ने कहा कि सात जनवरी से नागपुर दीक्षाभूमि से शुरू हुई उनकी विदर्भ आत्मबल यात्रा विदर्भ के सभी 62 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। इस दौरान वे लोगों से मिलेंगे और उनकी राय लेंगे। इसके बाद ही अपने अगले कदम का ऐलान करेंगे। देशमुख ने कहा कि उन्हें पार्टी ने कारण बताओ नोटिस दिया है, पर अभी तक मैंने इसका जवाब नहीं दिया है। पार्टी छोड़ने और कांग्रेस में शामिल के सवालों पर वे गोलमोल जवाब देते रहे। 

विदर्भ में नहीं हुआ निवेश

देशमुख ने कहा कि जोरशोर से शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम से विदर्भ को कुछ खास नहीं मिला। इसके तहत जो तीन बड़ी परियोजनाएं लगने वाली थीं वे सिर्फ मृगमरीचिका साबित हुईं हैं। वेदांता समूह ने साढ़े छह हजार करोड़ रुपए खर्च कर एलईडी टीवी पैनल्स बनाने वाली परियोजना बुटीबोरी एमआईडीसी में लगाने का ऐलान किया था लेकिन अब कंपनी इससे मुकर गई है। बाबा रामदेव हर राज्य में जमीन ले रहे हैं इसलिए यह कहना मुश्किल है कि वे वास्तव में कहां निवेश करेंगे। दो कंपनियों ने मिहान में 158 करोड़ रुपए के निवेश का ऐलान किया था लेकिन यह मामला भी ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य की 70 फीसदी बिजली विदर्भ में बनती है लेकिन साढ़े तीन रुपए प्रति यूनिट बनने वाली बिजली के लिए साढ़े सात रुपए वसूले जाते हैं। साथ ही बिजली कटौती (लोडशेडिंग) का भी सामना करना पड़ता है जबकि मुंबई, पुणे जैसे इलाके लोडशेडिंग मुक्त हैं।

उद्योग न लगने के चलते युवा बेरोजगार

विधायक देशमुख ने कहा कि उद्योग न लगने के चलते युवा बेरोजगार हैं और उन्हें मुंबई, पुणे, बंगलुरू जैसे शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। इसके अलावा इलाके में बढ़ते अपराध की भी वजह बेरोजगारी है। देशमुख के मुताबिक विदर्भ की सिंचाई परियोजनाओं का पैसा पश्चिम महाराष्ट्र को दे दिया गया। इसका नतीजा है कि इलाके में 80 फीसदी कृषि बरसात पर निर्भर है। यही किसानों की दुर्दशा का कारण है। महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति खराब है। इसलिए अब सिंचाई परियोजनाओं पर उतना खर्च नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि कर्जमाफी का भी कोई फायदा नहीं होगा। क्योंकि किसान फिर से कर्ज लेने पर मजबूर हो रहे हैं। तेलंगाना और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के विकास का हवाला देते हुए देशमुख ने कहा कि विदर्भ का भी विकास अलग राज्य बनने के बाद ही मुमकिन है।  

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