महंगाई के इस दौर में भी मिनिमम पेंशन 1 हजार रुपए, 3 हजार करने पर 6 साल से सस्पेंस
महंगाई के इस दौर में भी मिनिमम पेंशन 1 हजार रुपए, 3 हजार करने पर 6 साल से सस्पेंस
डिजिटल डेस्क, नागपुर। संगठित व निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को 1995 से पेंशन लागू हुई, लेकिन मिनिमम पेंशन अभी भी एक हजार रुपए ही है। यूपीए सरकार ने 2014 में अपना कार्यकाल समाप्त होने के पहले मिनिमम पेंशन निर्धारित की और पिछले 6 साल से इसमें कोई संशोधन नहीं हो सका है। भगतसिंह कोश्यारी कमेटी ने 2013 में सरकार को सौंपी रिपोर्ट में न्यूनतम पेंशन 3 हजार करने की जो अनुशंसा की, उसमें सरकार की तरफ से 6 साल में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका है। कमेटी की रिपोर्ट छह साल से सरकारी फाइलों में ही धूल खा रही है। 1995 से 2019 इन 24 साल में मिनिमम पेंशन का केवल एक बार ही निर्धारण हुआ है।
रिपोर्ट सरकारी फाइलों में धूल खा रहीं
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पंजीबद्ध कर्मचारी (कामगार) को पहले पेंशन नहीं मिलती थी। ईपीएस 1995 लागू हुआ आैर 1995 के बाद से संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को पेंशन लागू हुई। 200 और 300 रुपए पेंशन में गुजारा नहीं होने से कामगार संगठनों ने न्यूनतम (मिनिमम) पेंशन तय करने के लिए आंदोलन किए। यूपीए सरकार ने 2014 में विदाई से पहले एक हजार रुपए न्यूनतम पेंशन लागू कर दी। इधर सरकार की तरफ से गठित भगतसिंह कोश्यारी कमेटी ने न्यूनतम पेंशन 3 हजार व महंगाई भत्ता देने की अनुशंसा अपनी रिपोर्ट में कर दी थी। कमेटी ने 3 सितंबर 2013 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सांैपी थी। सत्ता में आने से पहले भाजपा ने इस रिपोर्ट को लागू करने का वादा किया था। पिछले छह साल से यह रिपोर्ट सरकारी फाइलोें में धूल खा रही है। शासन या प्रशासन स्तर पर इसमें कोई काम नहीं हुआ है। रिपोर्ट जिस अवस्था में सरकार को सौंपी थी, उसी अवस्था में अब भी पड़ी है। यानी रिपोर्ट लागू करने, इसका स्थायी समिति से अध्ययन करने, सरकारी स्तर पर आगे कार्रवाई करने, वित्त विभाग से राय लेने जैसी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। श्रम मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में ईपीएफओ से भी कोई राय नहीं मांगी गई। कामगार इसी मुगालते में हैं कि महंगाई के साथ उनकी मिनिमम पेंशन भी बढ़ गई है।
पीएम को दिया निवेदन
सेवानिवृत्त कर्मचारी ईपीएस1995 समन्वय समिति के देश भर से आए कामगारों ने 5 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपनी मांगों को लेकर धरना आंदोलन किया। सांसद कृपाल तुमाने समेत पांच सांसदों ने आंदोलन स्थल को भेंट दी थी। समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निवेदन देकर मिनिमम 9 हजार मासिक पेंशन व अन्य लाभ देने की मांग की।