कोरेगांव भीमा दंगा : मिलिंद एकबोटे की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज

कोरेगांव भीमा दंगा : मिलिंद एकबोटे की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-22 15:04 GMT
कोरेगांव भीमा दंगा : मिलिंद एकबोटे की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज

डिजिटल डेस्क, पुणे। कोरेगांव भीमा दंगे को लेकर एट्रासिटी के तहत मामला दर्ज किए गए समस्त हिंदू आघाड़ी के कार्याध्यक्ष मिलिंद एकबोटे की अंतरिम जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश प्रल्हाद भगुरे ने सोमवार को खारिज कर दी। गौरतलब है कि 1 जनवरी को कोरेगांव भीमा में दंगे हुए थे। जिसमें राहुल फटांगले नामक युवक की मौत हो गई। दंगे करवाने का आरोप लगाते हुए शिक्रापुर पुलिस थाने में महिला ने एकबोटे और भिड़े गुरूजी के विरोध में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके तहत दोनों पर हत्या, एट्रासिटी, आर्म एक्ट, दंगे भड़काने जैसी कई धारों के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में अंतरिम जमानत के लिए एकबोटे ने विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में अर्जी दी थी। इस पर सोमवार को सुनवाई हुई। न्यायालय ने अर्जी खारिज कर दी।

ये है पूरा मामला
1 जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा में एक शख्स की मौत होने के अगले दिन हिंसा की आग पूरे महाराष्ट्र में फैल गई थी। हिंसा के दो दिन बाद दलित नेता और भरीप बहुजन महासंघ अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने राज्यभर में बंद का आह्वान किया था। इस दौरान मुंबई समेत कई जिलों में तोड़फोड़, आगजनी जैसी घटनाएं हुई थी। इसी के बाद पुणे पुलिस ने सबूतों के लिए सीसीटीवी फुटेज जुटाए थे। मामले में करीब 2000 वीडियो इकट्ठा किए गए। इनके आधार पर पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था।

200 साल पुरानी इस परंपरा
महाराष्ट्र में 1 जनवरी को यह हिंसा भड़की थी। इस दौरान कोरेगांव भीमा में 1 जनवरी 1818 को पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी। दलित नेता 200 साल पुरानी इस परंपरा को 1 जनवरी के दिन मराठाओं पर महार दलितों की बड़ी जीत के जश्न के रूप में मनाते हैं। बताया जाता है कि 1 जनवरी 1818 को ब्रिटिश फ़ौज की तरफ से 800 महार दलितों ने करीब 28 हजार से अधिक मराठाओं को जंग में हराया था।

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