अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाई जाए मराठी भाषा : शायना

अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाई जाए मराठी भाषा : शायना

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-09 12:29 GMT
अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाई जाए मराठी भाषा : शायना

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मनसे और शिवसेना के बाद अब भाजपा की कोषाध्यक्ष व प्रवक्ता शायना एन सी का मराठी प्रेम जाग उठा है। शायना ने दक्षिण मुंबई के निजी अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों में कक्षा पहली से सावतीं तक मराठी भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा कि कक्षा आठवीं से दसवीं तक के विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा के विकल्प के रूप में जर्मन और फ्रेंच भाषा की बजाय मराठी पढ़ाए जाना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल सी विद्यासागर राव और शिक्षा मंत्री विनोद तावडे को पत्र लिखा है। 

स्कूलें नहीं ले रहीं इंट्रेस्ट : शनिवार को मुंबई प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में शायना ने आरोप लगाया कि दक्षिण मुंबई में निजी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल कक्षा पहली से सातवीं तक मराठी भाषा पढ़ाने में रुचि नहीं लेते हैं। उन्होंने कहा कि सप्ताह में तीन से चार बार होने वाली मराठी भाषा की क्लास के समय योगा और शारीरिक शिक्षण समेत अन्य विषयों को पढ़ाया जाता है। जो कि नियमों के खिलाफ है। शायना ने कहा कि दक्षिण मुंबई के लगभग 2 हजार निजी अंग्रेजी माध्यम से स्कूल सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि ये स्कूल नियमित रूप से विद्यार्थियों को मराठी भाषा को पढ़ाए। ताकि अगली पीढ़ी मराठी संस्कृति और सभ्यता को सही तरीके से समझ सके। 

आप्शन की शर्ते रद्द हों : शायना ने कहा कि निजी अंग्रेजी माध्यम से स्कूलों में कक्षा आठवीं दसवीं तक के विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा के विकल्प के रूप में जर्मन और फ्रेंच भाषा को विकल्प के रूप में चुनने के लिए कहा जाता है। शायना ने कहा कि इन स्कूलों को जर्मन और फ्रेंच भाषा की जगह विकल्प के रूप में मराठी भाषा का समावेश करना चाहिए। क्योंकि जर्मन और फ्रेंच भाषा बच्चे अलग से क्लास लगा करके पढ़ सकते हैं। शायना ने कहा कि नियमित रूप से मराठी पढ़ाए जाने को लेकर हम दक्षिण मुंबई के स्कूलों को पत्र लिखेंगे। इसके साथ ही राज्यपाल और शिक्षा मंत्री की तरफ से सभी स्कूलों को पत्र भेजा जाएगा। हमें उम्मीद है कि सभी स्कूल इस विषय को गंभीरता से लेंगे। 
मेरे बच्चे भी मराठी नहीं सीखना चाहते  : शायना ने कहा कि हम महाराष्ट्र में रहते हैं। इसलिए हमें राज्य की मातृ भाषा आनी चाहिए। मैं भी मराठी बोलने का प्रयास करती हूं। पर नई पीढ़ी मराठी सिखने में रुचि नहीं दिखाती है। मेरे दोनों बच्चे भी मराठी नहीं सीखना चाहते हैं। पर मैं उन्हें लगातार मराठी पढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती हूं। 
 

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