कांग्रेस में चुनाव कार्य को लेकर असंतोष, पूर्व विधायक देशमुख ने प्रदेश अध्यक्ष पर दागा सवाल
कांग्रेस में चुनाव कार्य को लेकर असंतोष, पूर्व विधायक देशमुख ने प्रदेश अध्यक्ष पर दागा सवाल
डिजिटल डेस्क,नागपुर। कांग्रेस की विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर पार्टी में बेचेनी खुलकर सामने आने लगी है। पूर्व विधायक आशीष देशमुख ने प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोरात पर सवाल दागा है कि क्या वे केवल संगमनेर के अध्यक्ष हैं। संगमनेर थोरात का गृह नगर है। देशमुख ने कांग्रेस नेताओं को राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से नेतृत्व व संगठन कार्य सीखने की नसीहत भी दे दी है। भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए श्री देशमुख फिलहाल कांग्रेस में उम्मीदवार चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने को लेकर परेशान है। मुंबई, दिल्ली में पार्टी नेताओं के व्यवहार से भी असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा,विधानसभा चुनाव घोषित हुआ है। सभी दल व उनके नेता सड़क पर उतरे हैं। गांव-गांव घूम रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोरात व उनके सहयोगी 5 कार्याध्यक्ष होने के बाद भी कोई भी राज्य का विचार करते नहीं दिख रहे हैं। स्वयं का निर्वाचन क्षेत्र व स्वयं की टिकट में ही खुश हैं।
चुनाव घोषित होने के पहले से ही राकांपा अध्यक्ष शरद पवार सक्रिय हैं। अधिक उम्र होने पर भी वे कार्यकर्ताओं से नियमित मिल रहे हैं। आवश्यकतानुसार अलग अलग जगह पर उपस्थित रहकर कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन करते हैं। राकांपा के कई नेता पार्टी छोड़ गए। लेकिन पवार निराश नहीं हुए। वे पार्टी कार्य में ही ध्यान दे रहे हैं। कांग्रेस राकांपा का गठबंधन घोषित किया गया है। देशमुख ने सलाह दी है कि कांग्रेस नेताओं ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से कुछ सीखकर काम पर लगना चाहिए। श्री देशमुख ने कहा,भाजपा ने 5 वर्ष के कार्यकाल में जनता को भ्रमित किया है। मंदी से कई उद्योग बंद है। किसान संकट में हैं। नए रोजगार नहीं मिल रहे हैं। रोजगार खोने की स्थिति है। भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए विधानसभा चुनाव एक अच्छा अवसर है। राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 15 वर्ष में कमबैक किया। राज्य में भी जनता भाजपा से नाराज है।
चुनाव के समय चर्चा में रहते हैं आशीष
आशीष देशमुख विविध चुनाव के समय अक्सर चर्चा में रहते हैं। उनके पिता रणजीत देशमुख कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 2008 में आशीष ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया था। लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा की टिकट पर सावनेर सीट से चुनाव लड़ा। पराजित हुए। 2014 में उन्होंने काटोल सीट पर बतौर भाजपा उम्मीदवार चुनाव लड़कर अपने चाचा राकांपा नेता अनिल देशमुख को पराजित कर दिया। विधायक बनने के बाद आशीष भाजपा में ही नाराज रहने लगे। कई मामलों पर पार्टी व सरकार के विरोध में बयान दिए। प्रदर्शन किए। भाजपा विधायक रहते हुए वे अन्य दलों के नेताओं के साथ मिलकर सरकार विरोधी प्रदर्शन करते रहे। आखिरकार दिसंबर 2018 में उन्हें पार्टी व विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा। लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी। लेकिन पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया।