लॉक डाउन: पार्थिव उठाने नहीं मिली शववाहिका, हाथठेले पर ले गए शव

लॉक डाउन: पार्थिव उठाने नहीं मिली शववाहिका, हाथठेले पर ले गए शव

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-30 08:43 GMT
लॉक डाउन: पार्थिव उठाने नहीं मिली शववाहिका, हाथठेले पर ले गए शव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल तक लॉकडाऊन की घोषणा कर दी है। इस बीच राज्य सरकार ने कर्फ्यू लागू कर दिया जाए। जिस कारण सड़कों पर चहल-पहल पूरी तरह बंद हो गई है। वाहन के आवागमन पर रोक लग गई है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा शोकाकुल परिवारों को भुगतना पड़ रहा है। पार्थिव उठाने के लिए भी शववाहिका या अन्य वाहन नहीं मिल रहे है। ऐसे में रिश्तेदार या स्थानीय नागरिक हाथठेले पर शव रखकर उसे श्मशाम घाटों तक ले जा रहे है। रविवार को इसका ज्वलंत उदाहरण सामने आया। रविवार 29 मार्च की सुबह 9.30 बजे गणेशपेठ, मॉडल मिल चाल निवासी रिक्शा चालक बंडू मेश्राम की मेडिकल अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया।

दोपहर 4 बजे उनके निवास से अंतिम यात्रा निकालने का निर्णय लिया गया। इसके लिए अनेक शववाहिका संचालनकर्ताओं से संपर्क किया गया। स्थानीय समाजसेवी राजेश खरे ने पहले गांधीसागर तालाब स्थित झूलेलाल मंदिर की शववाहिका के लिए मोबाइल से संपर्क किया। पता चला कि ड्राइवर उपलब्ध नहीं है। इसके बाद अन्य दो-तीन लोगों से संपर्क किया गया। उन्होंने भी कर्फ्यू के कारण ड्राइवर उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी। प्रयासों को सफलता नहीं मिलने के बाद आखिरकार स्थानीय नागरिकों ने बस्ती में रखे एक हाथठेले का इस्तेमाल किया। हाथठेले पर शव रख उसे मोक्षधाम घाट पहुंचाया गया। विशेष यह कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए इस दौरान सभी को दूरी का पालन करने को कहा गया।

जिस कारण कुछ लोगों ने ही हाथठेले को ढकेल कर घाट तक पहुंचाया। अन्य लोग धीरे-धीरे दूरी बनाकर पीछे आते रहे। खैर, श्मशाम घाट नजदीक होने से यह मामला आसानी से सुलझ गया। लेकिन शहर में इस तरह के मामले रोजाना सामने आ रहे है। जहां परिजनों को शव ले जाने के लिए शववाहिका नहीं मिल पा रही है। मजबूरन उन्हें कंधों पर या फिर अन्य साधनों का इस्तेमाल कर शव को श्मशान घाट पर लाना पड़ रहा है। ऐसे में परिवारों को दु:ख की घड़ी में दोहरे संकट का सामने करना पड़ रहा है।

 

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