मुआवजा दिलाने 10 हजार की रिश्वत मांंगने वाला भू-संपादन विभाग का कर्मचारी गिरफ्तार
मुआवजा दिलाने 10 हजार की रिश्वत मांंगने वाला भू-संपादन विभाग का कर्मचारी गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एसीबी (भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग) ने जिलाधिकारी कार्यालय से भू-संपादन विभाग के कर्मचारी को रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया है। सदर थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है। उधर, तीन दिन पहले ही गोसीखुर्द प्रकल्प के किसानों ने भू-संपादन विभाग कार्यालय के कर्मचारियों को बंधक बनाया था। इसका कारण भी रिश्वतखोरी ही थी। इससे गुस्साए किसानों ने अपना गुस्सा बंधक बनाकर उतारा था।
जिलाधिकारी कार्यालय के भू-संपादन विभाग में बतौर कनिष्ठ लिपिक तैनात दिलीप शंकरराव खेड़कर (53) की शिकायत गोसीखुर्द प्रकल्प के किसान ने की थी। कुही तहसील के जीवनापुर निवासी किसान की मां के नाम पर करीब छह एकड़ खेती की जमीन थी। यह जमीन गोसीखुर्द प्रकल्प में आ गई। इसका मुआवजा भी मिला। इसी बीच आठ वर्ष पहले किसान की मां का देहांत हो गया। सरकार की तरफ से उसे दो लाख 90 हजार रुपए मुआवजा बढ़ाकर दिया गया था। ताकि वह अपने परिवार का ठीक से भरण-पोषण कर सके।
बढ़ा हुआ मुआवजा जिलाधिकारी कार्यालय के भू-संपादन विभाग की तरफ से दिया जा रहा था। आरोप है कि बढ़ा हुआ मुआवजा दिलाने के लिए दिलीप ने किसान से 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। रकम ज्यादा थी, इसलिए किसान तैयार नहीं था। बाद में सात हजार रुपए देने पर सहमति बनी। किसान रिश्वत नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने दिलीप से बातचीत की पूरी रिकॉर्डिंग कर ली और एसीबी की शरण ली।
रिश्वत के आरोपी कर्मचारी के आवास पर भी छापेमारी
गत दो-तीन दिनों से एसीबी की टीम जिलाधिकारी कार्यालय के भू-संपादन विभाग के कनिष्ठ लिपिक दिलीप शंकरराव खेड़कर की गतिविधियों पर नजर रख रही थी। गोपनीय तरीके से छानबीन भी हुई। इसका संदेह दिलीप को हो गया था। इस कारण वह रिश्वत देने की बात पर टालमटोल कर रहा था। जांच के बाद सोमवार को रिश्वत मांगने की पुष्टि हो गई। इसके बाद एसीबी ने सदर थाने में दिलीप के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया। दोपहर में भू-संपादन विभाग में छापा मारा गया।
दिलीप को उसके कार्यालय से ही गिरफ्तार किया गया। इस बीच दिलीप के प्रतापनगर थाना क्षेत्र के गोपाल नगर स्थित आवास पर भी छापेमारी की गई। एसीबी की अधीक्षक रश्मी नांदेड़कर, अपर अधीक्षक राजेश दुधलवार के मार्गदर्शन में निरीक्षक योगेश पारधी, सचिन हलमारे, सुशील हुकरे, कुणाल कढ़व और दिनेश धार्मिक ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।