श्रम न्यायालय का फैसला: ठेकेदार कर्मकार नहीं
सतना श्रम न्यायालय का फैसला: ठेकेदार कर्मकार नहीं
डिजिटल डेस्क, सतना। अनुबंध समाप्ति के बाद मीटर रीडर के कार्य से पृथक किए गए तीन मीटर रीडरों की अलग-अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए श्रम न्यायालय ने यह माना कि अनुबंध के तहत संविदा पर कार्य कर रहे ठेकेदार कर्मचारी नहीं है। श्रम न्यायाधीश पार्थशंकर मिश्र की कोर्ट ने यह फैसला पुष्पराज त्रिपाठी, प्रियंका पांडेय और ओमप्रकाश वर्मा की प्रस्तुत याचिका पर देते हुए याचिका निरस्त कर दी है।
कर्मचारी नियोक्ता संबंध नहीं:-
याचिकाकर्ताओं की ओर से श्रम न्यायालय में इस आधार पर याचिका दाखिल की गई थी कि उनके और विद्युत कम्पनी के बीच अनुबंध का निष्पादन कर ठेके पर मीटर रीडिंग का कार्य दिया गया था। यह भी कहा गया कि 31 दिसम्बर 2016 को एकपक्षीय रूप से ठेका समाप्त कर कार्य से पृथक कर दिया गया, जिसके लिए कोई नोटिस और क्षतिपूर्ति नहीं दी गई। विद्युत कम्पनी की ओर से अधिवक्ता प्रतीक श्रीवास्तव ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क पेश किया कि संविदाकार कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते और कर्मकार नियोक्ता संबंध प्रकट नहीं होता है। संविदा समाप्त होने के उपरांत उन्हें कार्य से पृथक किया गया है जो संविदा शर्तों के अधीन है। वह किसी भी प्रकार की नौकरी का क्लेम नहीं कर सकते हैं। अदालत ने उभयपक्षों के प्रस्तुत तर्क और दस्तावेजों का सूक्ष्म परिशीलन कर कर्मचारी नियोक्ता संबंध प्रकट नहीं होने पर याचिकाकर्ताओं की याचिका सुनवाई के बाद निरस्त किए जाने का आदेश पारित किया है। इसके साथ ही अवार्ड की प्रति अग्रिम कार्रवाई के लिए उपश्रमायुक्त इंदौर को भेजे जाने का निर्देश दिया है।