वैवाहिक विवाद के मामले में पत्नी की सुविधा का ध्यान रखना जरुरी, पुणे कोर्ट से पनवेल स्थानांतरित मुकदमा
हाईकोर्ट वैवाहिक विवाद के मामले में पत्नी की सुविधा का ध्यान रखना जरुरी, पुणे कोर्ट से पनवेल स्थानांतरित मुकदमा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पति-पत्नी से जुड़े मामले को एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट में स्थानांतरित करते समय पत्नी की सुविधा पर प्रमुखता से विचार होना चाहिए। बांबे हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने एक आदेश में यह बात कहते हुए पति-पत्नी के बीच चल रहे वैवाहिक विवाद से जुड़े मामले को पुणे से पनवेल कोर्ट में स्थनांतरित कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि पत्नी अपने कामकाजी समय में पुणे आती-जाती थी केवल इस आधार पर उसे मामले को स्थनांतरित करने की मांग करने से वंचित नहीं किया जा सकता है। पत्नी ने पुणे कोर्ट में प्रलंबित मामले को पनवेल कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
अधिवक्ता रवि जाधव के माध्यम से याचिका दायर कर पत्नी ने दावा किया था कि उसे मुकदमे की सुनवाई के लिए पुणे से पनवेल आने-जाने में असुविधा होती है। वह पूरी तरह से अपने माता-पिता पर निर्भर है। इसकेअलावा वह पुणे के वकीलों से परिचित भी नहीं है। वहीं पति के वकील ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर याचिका का विरोध किया था। हलफनामे में कहा गया था कि याचिका में कई तथ्यों को छुपाया गया है। याचिकाकर्ता (पत्नी) जब पुणे में कार्यरत थी तो वह पुणे सहित भारत के कई राज्यों में आती-जाती थी। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने मलेशिया की भी यात्रा की है। हलफनामे में पति ने कहा था कि उसे पुणे से पनवेल आना काफी असुविधाजनक है। क्योंकि उसे पुणे में अपनी मां की देखरेख भी करनी पड़ती है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने कहा कि पति-पत्नी के अलगाव से जुड़े मामले को एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट में स्थानांतरित करते समय कानून के स्थापित सिद्धांतों के तहत पत्नी की सुविधा पर प्रमुखता से विचार किया जाना चाहिए। पत्नी अपने कामकाजी समय में पुणे आती जाती थी सिर्फ इसलिए उसे मुकदमे के स्थानांतरण की मांग से वंचित नहीं किया जा सकता है। खंडपीठ ने पति की ओर से हलफनामे में कही गई बातों को अस्वीकार कर दिया।