सिंचाई घोटाला : न्यायिक आयोग से जांच कराने पर सरकार से जवाब तलब
सिंचाई घोटाला : न्यायिक आयोग से जांच कराने पर सरकार से जवाब तलब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सिंचाई घोटाले पर सुनवाई हुई, जिसमें अजित पवार के अधिवक्ता ने याचिकाकर्ता जनमंच की उस अर्जी का विरोध किया, जिसमें जनमंच ने घोटाले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की प्रार्थना की है। पवार के अनुसार, अमरावती एसआईटी ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले प्रकल्प की 90 प्रतिशत जांच पूरी कर ली है।
जिगांव सिंचाई प्रकल्प से जुड़ी एफआईआर दर्ज की है। इसी तरह निम्न पैनगंगा प्रकल्प की क्लोजर रिपोर्ट दायर की है। इसके अलावा 24 खुली जांच जारी है। इसी तरह नागपुर एसआईटी ने कुल 5 एफआईआर दर्ज की है, 3 में चार्जशीट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दी गई है। 11 मामलों की जांच की अनुमति राज्य सरकार से मांगी गई है। अन्य मामलों में 6 एफआईआर सदर पुलिस में दर्ज है। इसी तरह 7 मामलों मंे क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है, जिसमें से 3 को मंजूरी दे दी गई है। एसीबी नियमित रूप से जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रख रही है। ऐसे में याचिकाकर्ता का यह कहना कि मामले की जांच सही दिशा मंे नहीं जा रही है, पूरी तरह गलत है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस पर 13 फरवरी तक जवाब मांगा है।
सिंचाई घोटाले में लित्पता को लेकर पवार ने स्वयं को पूरी तरह निर्दोष बताया और कहा कि जलसंपदा मंत्री और वीआईडीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाते वक्त सभी नियमों का पालन करके पूरी प्रामाणिकता के साथ मैंने अपना काम किया है। हाईकोर्ट मंे दायर अपने शपथ-पत्र मंे पवार ने याचिकाकर्ता अतुल जगताप की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। पवार के अनुसार, याचिकाकर्ता अतुल जगताप स्वयं सिंचाई प्रकल्पों में ठेकेदार थे और उन्होंने निजी स्वार्थ से यह याचिका दायर की है। वे पवार को फंसाने के लिए कोर्ट यंत्रणा का उपयोग कर रहे हैं। मामले में याचिकाकर्ता जनमंच की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा और अतुल जगताप की ओर से एड.श्रीधर पुरोहित ने पक्ष रखा।