हाईकोर्ट ने सुनी दुबई में फंसी युवती की गुहार, वीजा जारी करने का निर्देश, कोरोना के चलते हुआ था रद्द
हाईकोर्ट ने सुनी दुबई में फंसी युवती की गुहार, वीजा जारी करने का निर्देश, कोरोना के चलते हुआ था रद्द
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लेकर भारत सरकार की ओर से जारी की गई यात्रा एडवाइजरी के चलते दुबई में फंसी में एक 19 वर्षीय युवती को राहत प्रदान की है। इसके साथ ही इंडियन इमीग्रेशन ब्यूरो को निर्देश दिया है कि वह युवती को दुबई से मुंबई आने के लिए वीजा प्रदान करे। युवती ने मुंबई के लिए अमेरिका से फ्लाइट पकड़ी थी। मुंबई के लिए उसकी कनेक्टिंग फ्लाइट दुबई से थी। लेकिन भारत सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी के चलते युवती को दुबई से मुंबई आने से रोक दिया गया। कोराना वायरस के चलते भारत सरकार ने 13 मार्च को एडवाइजरी जारी कर 15 अप्रैल 2020 तक सभी वीजा पर रोक लगा दी है। दुबई में अकेली फंसी बेटी को मुंबई आने की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर युवती की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बुधवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि युवती ने 12 मार्च को बोस्टन से प्रस्थान किया था। जबकि भारत सरकार ने 13 मार्च को एडवाइजरी जारी की है। ऐसे में देखा जाए तो एडवाइजरी जारी करने से पहले ही यवुती ने यात्रा प्रारंभ कर दी थी। खंडपीठ ने कहा कि युवती की उम्र काफी कम है वह दुबई में अपने परिवार के बिना अकेले है। खंडपीठ ने इस परिस्थिति को देखते हुए इमीग्रेशन ब्यूरो को युवती को मुंबई आने के लिए वीजा जारी करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले को दुबई स्थिति भारतीय दूतावास को ही सुलझा देना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि दूतावास इस मामले को निपटाने में असफल रहा। याचिकाकर्ता के वकील डेरिस मादन ने कहा कि इस प्रकरण में भारतीय दूतावास व इमीग्रेशन ब्यूरों ने युवती की मदद करने की बजाय पूरी तरह से मनमानी दिखाई है। याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने युवती को राहत प्रदान की और स्पष्ट किया कि उनके इस आदेश को नजीर न माना जाए। क्योंकि याचिका में उल्लेखित तथ्यों व परिस्थितियों के मद्देनजर युवती को वीजा जारी करने का आदेश जारी किया गया है।
कोरोना को लेकर अनावश्यक याचिका दायर करने पर हाईकोर्ट ने लगाया जुर्मना
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से बांबे हाईकोर्ट ने सिर्फ जरुरी मामलों की सुनवाई करने का निर्णय किया है। इसके बावजूद अदालत में सुनवाई के लिए अवमानना से जुड़ी याचिका का उल्लेख करनेवाले एक याचिकाकर्ता पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। इस बीच न्यायालय में भीड़भाड कम करने के लिए हाईकोर्ट के एक न्यायमूर्ति ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए वकीलों को याचिका का उल्लेख करने की छूट दी है। कोरोना संकट के चलते फिलहाल हाईकोर्ट में केवल दो घंटे के लिए ही कामकाज हो रहा है और सिर्फ जरुरी मामलो की सुनवाई हो रही है। इसके बावजूद एक याचिकाकर्ता ने अवमानना से जुड़ी याचिका का सुनवाई के लिए उल्लेख किया। इससे नाराज न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने याचिकाकर्ता पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माने की रकम सेंट ज्यूडस चाइल्ड केयर सेंटर में जमा करने का निर्देश दिया गया है। वहीं दूसरी ओर न्यायमूर्ति ए के मेनन ने अदालत में भीड़ को कम करने के लिए वकीलों को अपनी जरुरी याचिकाओं का उल्लेख वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से करने की छूट दी है। इसके लिए वकील जरुरी जानकारी हाईकोर्ट प्रशासन से ले सकते हैं। वकील अपने घर अथवा कार्यालय से याचिका का वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए उल्लेख कर सकते हैं।