सीएए-एनआरसी से बढ़ी जन्म प्रमाणपत्र निकालने वालों की भीड़, मनपा के पास नहीं मिल रहा रिकार्ड

सीएए-एनआरसी से बढ़ी जन्म प्रमाणपत्र निकालने वालों की भीड़, मनपा के पास नहीं मिल रहा रिकार्ड

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-02 06:41 GMT
सीएए-एनआरसी से बढ़ी जन्म प्रमाणपत्र निकालने वालों की भीड़, मनपा के पास नहीं मिल रहा रिकार्ड

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देशभर में सीएए-एनआरसी का मुद्दा गर्माने के बाद शहर में अपने पुराने दस्तावेज खंगालने व तलाशने वालों की सक्रियता बढ़ गई है। नागपुर महानगरपालिका के जन्म-मृत्यु विभाग में अचानक जन्म प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वालों की संख्या में इजाफा हो गया है। पहले जहां रोजाना औसत 30-35 लोग जन्म प्रमाण-पत्र लेने आते थे, वहीं अब ये संख्या बढ़कर 55 से 60 तक पहुंच गई है। विशेष यह कि कुछ ऐसे भी हैं, जिनका रिकार्ड मनपा के पास उपलब्ध नहीं। ऐसे लोगों का जिन स्कूल या इलाकों में जन्म हुआ है, वहां मनपा की एक टीम जाकर पंचनामा तैयार करती है। फिर उसके आधार पर संबंधित व्यक्ति को अनुपलब्धता प्रमाण-पत्र (नॉट-अवेलेबल सर्टिफिकेट) दे रही है। मनपा जन्म-मृत्यु विभाग द्वारा रोजाना 8 से 9 लोगों को यह प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है। पिछले एक महीने में (27 नवंबर से 26 दिसंबर तक) मनपा ने करीब 138 लोगों को अनुपलब्धता प्रमाण-पत्र दिए गए हैं। यह प्रमाण-पत्र लेकर संबंधित व्यक्ति कोर्ट जा रहा है। फिर जब कोर्ट आदेश देता है कि संबंधित व्यक्ति को जन्म प्रमाण-पत्र दिया जाए, तब मनपा उसे उपलब्ध कराती है। कोर्ट की इस प्रक्रिया में संंबंधित व्यक्ति को लंबा समय गुजारना पड़ रहा है।  

मनपा को भी स्वीकार
नागपुर महानगरपालिका के जन्म-मृत्यु विभाग में नागपुर शहर में जन्मे और मृतकों का रिकार्ड उपलब्ध है। वर्ष 1910 से मनपा ने यह रिकार्ड सहेजकर रखा है। इस रिकार्ड का डिजिटाइजेशन भी किया गया है। खासकर शहर के सबसे पुराने अस्पताल मातृ सेवा संघ और म्यूर मेमोरियल अस्पताल में जन्मे और मृत लोगों का यहां रिकार्ड आसानी से मिल जाता है। मगर जिसका जन्म घर में अथवा अन्य जगह हुआ है, उनका रिकार्ड मनपा में उपलब्ध नहीं है। मनपा प्रशासन भी इसे सहजता से स्वीकार करता है। 

अभी ऐसी है स्थिति 
मनपा में रोजाना औसतन 30-35 लोग जन्म प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन करते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में खासकर सीएए और एनआरसी को लेकर चल रही बहस के बाद जन्म प्रमाण-पत्र लेने वालों की संख्या में अचानक वृद्धि हो गई है। आंकड़ा बढ़कर औसत 55 से 60 तक पहुंच गया है। 12 दिसंबर के बाद की स्थिति पर नजर डाली जाए तो मनपा ने रोजाना 50 से 60 से अधिक जन्म प्रमाण-पत्र जारी किए हैं। आवेदन करने वालों की संख्या भी 50 से 55 के पास पहुंची है। जन्म-मृत्यु विभाग ने अक्टूबर में 834, नवंबर में 971 और 27 दिसंबर तक 817 जन्म प्रमाण-पत्र जारी किए हैं।  

कोर्ट के आदेश पर 395 को मिला जन्म प्रमाणपत्र 
मनपा में रिकार्ड नहीं मिलने के कारण रोजाना 8-9 लोगों को अनुपलब्धता प्रमाण-पत्र दिए जा रहे हैं। इसे जारी करने के पहले उनके घर या स्कूल जाकर आस-पास के लोगों का बयान दर्ज किया जाता है। इसकी पुष्टि होने पर उसे अनुपलब्धता प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं। जन्म-मृत्यु पंजीयन अधिनियम 1969 की धारा 13(3) उसे अनुपलब्धता प्रमाण-पत्र दिया जाता है। पिछले एक महीने यानी 27 नवंबर से 26 दिसंबर तक 138 लोगों को अनुपलब्धता प्रमाण-पत्र दिए गए है। साल भर में ऐसे करीब 1500 प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं। यह प्रमाण-पत्र लेकर संबंधित व्यक्तियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तो कोर्ट के आदेश पर पिछले एक साल में 395 लोगों को जन्म प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं। 

27 दिसंबर तक 817 जन्म प्रमाण-पत्र जारी किए 
अक्टूबर में 834 जन्म प्रमाण-पत्र जारी किए थे। नवंबर में यह संख्या 971 थी। 27 दिसंबर तक 817 प्रमाण-पत्र जारी किए गए। जिनके जन्म प्रमाण-पत्र के नाम में गड़बड़ या शब्द इधर से उधर हो गए, ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ी है। यह अपने नाम में सुधार करने के लिए बड़ी संख्या में आ रहे हैं। इन्हें उचित मार्गदर्शन कर प्रक्रिया बताई जा रही है। 

सभी को मदद 
कुछ दिनों में आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ी है। जिनके नाम रिकार्ड में हैं, उन्हें जन्म या मृत्यु प्रमाण-पत्र दिए जा रहे हैं। जिनके नाम रिकार्ड में नहीं है, उनकी बस्ती या स्कूल में जाकर लोगों से बातचीत कर उन्हें अनुपलब्धता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जा रहा है। ये प्रमाण-पत्र लेकर लोग कोर्ट जा रहे है। कोर्ट से आदेश मिलने पर उन्हें जन्म प्रमाण दिया जा रहा है। 
-डॉ. अतिक उर्रहमान खान, वैद्यकीय अधिकारी, जन्म-मृत्यु विभाग 
 

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