विदेशी नागरिकता हासिल करने के बावजूद भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा गैरकानूनी

हाईकोर्ट विदेशी नागरिकता हासिल करने के बावजूद भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा गैरकानूनी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-16 15:56 GMT
विदेशी नागरिकता हासिल करने के बावजूद भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा गैरकानूनी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विदेशी नागरिकता हासिल करने के बावजूद यात्रा के लिए भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल करनेवाले विदेशी शख्स के प्रति बांबे हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे शख्स के पासपोर्ट को जब्त करने व उसके भारत में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को मनमानीपूर्ण नहीं माना जा सकता है। इस तरह हाईकोर्ट ने फिलहालविदेशी शख्स की भारत यात्रा के लिए वीजा व ओसीआई कार्ड जारी करने से जुड़ी मांग पर विचार करने से इनकार कर दिया है। दरअसल साल 2015 में बेल्जियन की नागरिकता हासिल करनेवाले रमेश शाह (परिवर्तित नाम) के भारत में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसलिए शाह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। केंद्र सरकार के गृह विभाग के अधिकारी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर शाह की याचिका का विरोध किया। अधिवक्ता रुई राड्रिक्स के माध्यम से दायर किए गए इस हलफनामे में कहा गया है कि शाह को साल 2013 में भारत का पासपोर्ट जारी किया गया था। जबकि साल 2015 में शाह को बेल्जियन का पासपोर्ट जारी किया गया है। इसके बावजूद शाह ने अपना भारतीय पासपोर्ट जमा करने की बजाय साल 2020 तक उसका इस्तेमाल किया। शाह ने भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल यूएई, यूएसए व चीन और रूस की यात्रा के लिए कई बार किया है। इस पहलू पर विचार करने के बाद शाह का नाम ऐसे लोगों की सूची में डाला गया है जिनका भारत में प्रवेश निषेध है। शाह का कृत्य भारतीय नागरिकता अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। 

न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ के सामने शाह की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शाह के वकील ने दावा किया कि अनजाने में याचिकाकर्ता से पासपोर्ट को लेकर गलती हुई है। इसके अलावा ऐसा हजारों लोग करते हैं। वह तुरंत अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग करने को तैयार है। लेकिन उसकी वीजा से जुड़ी मांग पर विचार किया जाए। खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर अपना पासपोर्ट जमा नहीं किया है। इसलिए याचिकाकर्ता का पासपोर्ट जब्त करने व उसके भारत में आने पर रोक लगाने को लेकर गृह विभाग के निर्णय को मनमानीपूर्ण नहीं माना जा सकता है। याचिकाकर्ता फिलहाल भारतीय नागरिक नहीं है, इसलिए वह संविधान से मिले मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकता है। इस मामले में साफ तौर से नियमों का उल्लंघन नजर आ रहा है। लिहाजा इस मामले में याचिकाकर्ता की तत्काल अंतरिम राहत की मांग पर विचार नहीं किया जा सकता है। 

 

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