मां के जीवन को खतरा होने पर मिल  सकती है गर्भपात की अनुमति: हाईकोर्ट

मां के जीवन को खतरा होने पर मिल  सकती है गर्भपात की अनुमति: हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-08 14:15 GMT
मां के जीवन को खतरा होने पर मिल  सकती है गर्भपात की अनुमति: हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि कानूनन यदि मां के जीवन को खतरा हो तो ही उसे गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने यह बात 28 सप्ताह की गर्भवती महिला की ओर से गर्भपात कराने की अनुमति की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। महिला को गर्भपात की अनुमति मिलेगी की नहीं इस पर अदालत मंगलावर को अपना फैसला सुना सकती है। न्यायमूर्ति आरएम बोर्ड और न्यायमूर्ति राजेश केतकर की खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 5 के मुताबिक मां के जीवन को खतरा होने पर ही महिला को गर्भपात की इजाजत दी जानी चाहिए। नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात अदालत की अनुमति के बगैर नहीं किया जा सकता।

भ्रूण में विकार की स्थिति में गर्भापात का प्रावधान
अदालत ने कहा कि इस कानून में भ्रूण को खतरा होने व उसमें विकार होने की स्थिति में गर्भपात की इजाजत देने का जिक्र नहीं है। इस लिहाज से हम कानूनी प्रावधानों की अनदेखी नहीं कर सकते है। खंडपीठ ने कहा कि उपरोक्त कानून में संसोधन के लिए बनाए गए प्रस्तावित विधेयक में भ्रूण में विकार और विसंगति होने की स्थिति में गर्भापात की अनुमति का प्रावधान है। लेकिन अभी इस विधेयक को कानूनी मंजूरी नहीं मिली है। इसलिए हम उस पर विचार नहीं कर सकते। खंडपीठ ने कहा कि महिला की स्थिति की जांच करने वाले मनोचिकित्सक ने ऐसी राय दी है, जो याचिका दायर करनेवाली महिला के खिलाफ जाती है।

याचिकाकर्ता के वकील की दलील
इससे पहले याचिकाकर्ता की वकील मिनाज के ने कहा कि उनकी मुवक्किल को लेकर मेडिकल बोर्ड ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के मस्तिष्क, हृदय और पेट में विकार होने की बात कही गई है। भ्रूण की स्थिति को जानने के बाद मेरे मुवक्किल को गहरा मानसिक अाघात लगा है। ऐसी स्थिति में मेरी मुवक्किल को गर्भपात की अनुमति न दिया जाना उसके मौलिक अधिकारों का हनन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कई आदेश दिए है। जिन्हें वे अदालत को दिखाना चाहती हैं। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी है। एडवोकेट ने कहा कि मिनाज ने कहा कि जब मेरी मुवक्किल ने याचिका दायर की थी तो वे 27 सप्ताह की गर्भ‌वती थी। जिसकी अवधि अब एक सप्ताह और बढ गई है। 

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