‘हाईटेंशन’ तारों ने बढ़ाया टेंशन, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, 13 नवंबर तक देना होगा जवाब

‘हाईटेंशन’ तारों ने बढ़ाया टेंशन, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, 13 नवंबर तक देना होगा जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-08 06:45 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में हाईटेंशन तारों के समीप हुए अनधिकृत निर्माण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई। बीती सुनवाई में सामने आया था कि बिजली चोरी, अनधिकृत निर्माण गिराने जाने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों पर हमले और अन्य प्रकरणों को दर्ज करने के लिए नागपुर में स्वतंत्र पुलिस थानों का गठन जरूरी है। इसी मुद्दे पर न्या.सुनील शुक्रे और न्या.रोहित देव की खंडपीठ ने नागपुर पुलिस आयुक्त और मनपा अतिरिक्त आयुक्त को तलब किया।

पुलिस आयुक्त ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने शहर के 5 जोन में एक-एक पुलिस थाना तय कर रखा है, जहां मामले दर्ज किए जाते हैं। इन थानों में 4 से 5 अधिकारियों का एक विशेष सेल गठित करने जा रहे हैं। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को दो सप्ताह में ये सभी विशेष से शुरू करने के आदेश दिए हैं। इधर सुनवाई में हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मनपा आयुक्त को शहर के 432 अनधिकृत निर्माणकार्य गिराने पर जवाब मांगा, लेकिन वे हाईकोर्ट में जवाब नहीं दे पाए। इससे जुड़े हाईकोर्ट के अन्य प्रश्नों का भी वे उत्तर नहीं दे सके। इससे नाराज हाईकोर्ट ने उन्हें जमकर फटकार लगाई। 13 नवंबर तक अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पर पूरा ब्योरा प्रस्तुत करने को कहा। यदि मनपा 13 नवंबर तक ठोस जानकारी नहीं देती, तो हाईकोर्ट नगर रचना विभाग के प्रधान सचिव को कोर्ट मंे हाजिर होने के आदेश जारी करेगा। 

समिति कर चुकी है जांच
यह है मामला : शहर में कुछ वर्ष पूर्व दो छोटे बच्चों की हाईटेंशन तारों के संपर्क में आने से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भी ऐसे अन्य मामले सामने आए थे, जिसके बाद कोर्ट ने सूू-मोटो जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में मदद के लिए एक विशेष समिति गठित की गई थी। समिति ने शहर में अनेक निर्माणकार्य नियमों के विरुद्ध पाए। शहर में बगैर सोचे-समझे इस विकास के लिए समिति ने नासुप्र और मनपा काे काफी हद तक जिम्मेदार बताया है, वहीं अनधिकृत निर्माणकार्यों में बिजली आपूर्ति करने के लिए महावितरण और एसएनडीएल को भी जिम्मेदार ठहराया। समिति ने इन लोगों पर जुर्माना लगाने के साथ ही हाईटेंशन तारों पर इंसुलेटर लगाने, अंडरग्राउंड केबलिंग करने या फिर उनकी दिशा बदलने मंे से कोई एक विकल्प चुनने की सिफारिश की है। मामले में एड.श्रीरंग भंडारकर न्यायालयीन मित्र की भूमिका में हैं। मनपा की ओर से एड.सुधीर पुराणिक ने पक्ष रखा। 

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